×

सैरंध्री का अर्थ

सैरंध्री अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. विराट नरेश के यहाँ युधिस्ठिर कंक नामक ब्राहमण बने , भीम बल्लभ रसोइया , अर्जुन ने वृहन्नला बन राजकुमारी उत्तरा का गुरुपद सम्हाला तो नकुल ने ग्रंथिक के रूप में कोचवान की जिम्मेदारी ली , सहदेव अरिष्टनेमी के रूप में मवेशियों की देखभाल के लिए नियुक्त हुए , द्रौपदी सैरंध्री बन रानी की दासी नियुक्त हु ई.
  2. द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था | द्रौपदी का विवाह पाँचों पाण्डव से हुआ था | कृष्णा , यज्ञसेनी , महाभारती , सैरंध्री अदि अन्य नामो से भी ये विख्यात है | पांडवों द्वारा इनसे जन्मे पांच पुत्र ( क्रमशः प्रतिविंध्य , सुतसोम , श्रुतकीर्ती , शतानीक व श्रुतकर्मा ) उप-पांडव नाम से विख्यात थे |
  3. द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था | द्रौपदी का विवाह पाँचों पाण्डव से हुआ था | कृष्णा , यज्ञसेनी , महाभारती , सैरंध्री अदि अन्य नामो से भी ये विख्यात है | पांडवों द्वारा इनसे जन्मे पांच पुत्र ( क्रमशः प्रतिविंध्य , सुतसोम , श्रुतकीर्ती , शतानीक व श्रुतकर्मा ) उप-पांडव नाम से विख्यात थे |
  4. दुरात्मा कीचक अपनी बहन रानी सुदेष्णा के भवन में एक बार किसी कार्यवश गया | वहां अपूर्व लावण्यवती दासी सैरंध्री को देखकर उस पर आसक्त हो गया | कीचक ने नाना प्रकार के प्रलोभन सैरंध्री को दिए | सैरंध्री ने उसे समझाया , “ मैं पतिव्रता हूं | अपने पति के अतिरिक्त किसी पुरुष की कभी कामना नहीं करती | तुम अपना पाप-पूर्ण विचार त्याग दो | ”
  5. दुरात्मा कीचक अपनी बहन रानी सुदेष्णा के भवन में एक बार किसी कार्यवश गया | वहां अपूर्व लावण्यवती दासी सैरंध्री को देखकर उस पर आसक्त हो गया | कीचक ने नाना प्रकार के प्रलोभन सैरंध्री को दिए | सैरंध्री ने उसे समझाया , “ मैं पतिव्रता हूं | अपने पति के अतिरिक्त किसी पुरुष की कभी कामना नहीं करती | तुम अपना पाप-पूर्ण विचार त्याग दो | ”
  6. दुरात्मा कीचक अपनी बहन रानी सुदेष्णा के भवन में एक बार किसी कार्यवश गया | वहां अपूर्व लावण्यवती दासी सैरंध्री को देखकर उस पर आसक्त हो गया | कीचक ने नाना प्रकार के प्रलोभन सैरंध्री को दिए | सैरंध्री ने उसे समझाया , “ मैं पतिव्रता हूं | अपने पति के अतिरिक्त किसी पुरुष की कभी कामना नहीं करती | तुम अपना पाप-पूर्ण विचार त्याग दो | ”
  7. मत्स्य-नरेश विराट यह सुनकर अत्यधिक प्रसन्न हुए और उत्तर को आशीर्वाद देने लगे | चारों ओर उत्तर की वीरता के गुण गाए जाने लगे , लेकिन कंक नामधारी युधिष्ठिर ने इस पर विश्वास नहीं किया और उन्होंने विराट के सामने ही अपना संदेह प्रकट किया , जिससे क्रुद्ध होकर विराट ने उनके मुंह पर पासे दे मारे | मुंह से खून गिरने लगा , जिसे सैरंध्री ने एक बरतन में समेट लिया |
  8. सैरंध्री बनी द्रौपदी ने देख लिया कि इस दुरात्मा से विराट उसकी रक्षा नहीं कर सकते | कीचक और भी धृष्ट हो गया | अंत में व्याकुल होकर रात्रि में द्रौपदी भीमसेन के पास गई और रोकर उसने भीमसेन से अपनी व्यथा कही | भीमसेन ने उसे आश्वासन दिया | दूसरे दिन सैरंध्री ने भीमसेन की सलाह के अनुसार कीचक से प्रसन्नतापूर्वक बातें कीं और रात्रि में उसे नाट्यशाला में आने को कह दिया |
  9. सैरंध्री बनी द्रौपदी ने देख लिया कि इस दुरात्मा से विराट उसकी रक्षा नहीं कर सकते | कीचक और भी धृष्ट हो गया | अंत में व्याकुल होकर रात्रि में द्रौपदी भीमसेन के पास गई और रोकर उसने भीमसेन से अपनी व्यथा कही | भीमसेन ने उसे आश्वासन दिया | दूसरे दिन सैरंध्री ने भीमसेन की सलाह के अनुसार कीचक से प्रसन्नतापूर्वक बातें कीं और रात्रि में उसे नाट्यशाला में आने को कह दिया |
  10. अज्ञातवास के समय भी भीम ने अपना पराक्रम दिखाया | वह उस समय वल्लभ नामधारी रसोइया था | द्रौपदी का नाम सैरंध्री था | राजा विराट का सेनापति और साला कीचक द्रौपदी को बड़ा तंग करता था | उससे क्रुद्ध होकर वल्लभ नामधारी भीम ने कीचक को मार डाला था | वह द्रौपदी की करुण अवस्था देख नहीं सका था , इसीलिए भावावेश में आकर इस काम को कर गया था , वैसे देखा जाए तो अज्ञातवास के समय यह करना उचित नहीं था |
अधिक:   पिछला  आगे


PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.