सोहारी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बड़सर / घुमारवीं : सोहारी कस्बे में शनिवार को कोठी गांव के पूर्ण चंद पुत्र प्रेम चंद की हमीरपुर से दियोटसिद्व जा रही एचआरटीसी की बस (नं एचपी 67-1157) के नीचे आने से मौत हो गई।
- यह दोनों सोहारी नामक स्थान पर बस से उतर गए , लेकिन हरिराम के हाथों से सोने की चेन गिर गई, जिससे किरण ने एकदम पहचान लिया कि ये चेन तो मेरे पति की है।
- अवध में प्रयुक्त शब्दावली आज भी ज्यो कि त्यों यंहा प्रचलित है , जैसे सब्जी पेठा / सीताफल को कोहंडा कहा जाता है , पूड़ी को सोहारी , पैर को गोड़ आदि कहा जाता है .
- इस सड़क पर डुघयार , सोहारी, बिझड़ी के खुरपड़ी चौक, एबीसी चौक, कोटला आदि स्थानों करीब आध दर्जन ऐसे स्पॉट हैं, जहां पिछले लंबे समय से डंगे गिरे हुए हैं तथा ऐसे ही कई तंग मोड़ हैं।
- इस सड़क पर डुघयार , सोहारी, बिझड़ी के खुरपड़ी चौक, एबीसी चौक, कोटला आदि स्थानों करीब आध दर्जन ऐसे स्पॉट हैं, जहां पिछले लंबे समय से डंगे गिरे हुए हैं तथा ऐसे ही कई तंग मोड़ हैं।
- शांति के गर्भ धारण तीन महिने होने पर शांति की माँ बेटी को सघोरी सीत प्रकार के मिष्ठान , रोटी , बरा , सोहारी , पपची , ठेठरी , खुर्मी , मालपुआ , दही बड़ा इत्यादि प्रकार के फसल गेहूँ की रोटियां लेकर आती है।
- शांति के गर्भ धारण तीन महिने होने पर शांति की माँ बेटी को सघोरी सीत प्रकार के मिष्ठान , रोटी , बरा , सोहारी , पपची , ठेठरी , खुर्मी , मालपुआ , दही बड़ा इत्यादि प्रकार के फसल गेहूँ की रोटियां लेकर आती है।
- आपकी अंतिम पक्तिया भाव उद्देलित कर देने वाली है सतुआ का पेट सोहारी से कभू ना भरी जैसी कहावत से मुझे विश्वास है कि ब्लागिगं कभी ख़त्म नहीं होगी और हमेशा अच्छे लोग आते रहेगे व जुड़ते रहे गे आप उदास भाव छोडिये फेसबुक सिर्फ आत्म प्रशंशा के बोझ तले एक दिन बैठ जाएगा
- हिंगलाज के सन्दर्भ का एक बोल मन्त्र दृष्टव्य हैः “ सवा हाथ के धजा विराजे , अलग चुरे खीर सोहारी, ले माता देव परवाना, नहिं धरती, नहिं अक्कासा, जे दिन माता भेख तुम्हारा, चाँद सुरुज के सुध बुध नाहीं, चल चल देवी गढ़हेंगुलाज, बइठे है धेनु भगत, देही बिरी बंगला के पान, इक्काइस बोल, इक्काइस परवाना, इक्काइस हूम, धेनु भगत देही, शीतल होके सान्ति हो ।”
- अधिकारों की इस दौड़ में हम बार-बार छोड़ दिए जाते है , यह किसकी बाजीगरी है अब बंदर की तरह अपनी डोर बाजीगर के हाथ में देने का दौर नहीं रहा , बन्दर कभी हमारे पूर्वज हुआ करते थे यह ठीक है की हनुमान जी हमें सबसे ज्यादा रास आते है सो उन्हें महाबीर जयंती या बुढ़वा मंगल पर सोहारी भी तो यादव ही चढाता है , अखाडे में लंगोट बांध कर उन जैसे उठा उठा कर लोंगो को फेकता भी तो है .