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स्वेदज का अर्थ

स्वेदज अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. यह अविनाशी जीव ( अण्डज , स्वेदज , जरायुज और उद्भिज्ज ) चार खानों और चौरासी लाख योनियों में चक्कर लगाता रहता है॥ 2 ॥
  2. इसके अनन्तर स्वेदज योनि में दो कलाओं का विकास माना जाता है , जिससे इस योनि में अन्नमय और प्राणमय कोषों का विकास देखने में आता है।
  3. इसी क्रम में परवर्ती जीवयोनि स्वेदज में ईश्वर की दो कला , अण्डज में तीन और जरायुज के अन्तर्गत पशु योनि में चार कलाओं का विकास होता है।
  4. शरीर की उत्पत्ति चार प्रकार - जरायुज , स्वेदज , अण्डज और उद्भिज से होती है और यह चौरासी लाख प्रकार की आकृतियों में जानी व देखी जाती है जिसमें मनुष्य शरीर एक श्रेष्ठतम् और सर्वोत्तम आकृति है।
  5. शरीर की उत्पत्ति चार प्रकार - जरायुज , स्वेदज , अण्डज और उद्भिज से होती है और यह चौरासी लाख प्रकार की आकृतियों में जानी व देखी जाती है जिसमें मनुष्य शरीर एक श्रेष्ठतम् और सर्वोत्तम आकृति है।
  6. चरक का वर्गीकरण चरक ने भी प्राणियों को उनके जन्म के अनुसार जरायुज , अण्डज, स्वेदज और उदि्भज वर्गों में विभाजित किया है (चरक संहिता, सूत्रस्थान, २७/३५-५४) उन्होंने प्राणियों के आहार-विहार के आधार पर भी निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया है-
  7. जूं और चीलर जैसे परजीवियों का एक विशेषण है स्वेदज अर्थात “ पसीने से जन्मे हुए ” भाव यही है कि पसीने से उत्पन्न नमी पर गंदगी जल्दी जमती है और गंदगी की वजह से ही शरीर पर परजीवी पनपते हैं।
  8. श्रीरामचन्द्रजी ने कहाः महर्षे , चंचल आकारावाले जरायुज , अण्डज , स्वेदज और उदभिज्ज - इन चार शरीरों से पूर्ण और नाना प्रकार के कर्तव्यभाररूपी तरंगों से युक्त संसारसागर में मनुष्य जन्म पाकर भी बाल्यावस्था में केवल दुःख ही मिलता है।
  9. श्रीरामचन्द्रजी ने कहाः महर्षे , चंचल आकारावाले जरायुज , अण्डज , स्वेदज और उदभिज्ज - इन चार शरीरों से पूर्ण और नाना प्रकार के कर्तव्यभाररूपी तरंगों से युक्त संसारसागर में मनुष्य जन्म पाकर भी बाल्यावस्था में केवल दुःख ही मिलता है।
  10. मच्छर , जुं , मक्खी , खटमल और जो भी इस प्रकार के कोई जीव हों जैसे भुनगे आदि वे सब सीलन और गर्मी से उत्पन्न होते हैं , उनको ‘ स्वेदज ' अर्थात् पसीने से उत्पन्न होने वाले कहा जाता है।
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