हज़रत उस्मान का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जब कि तथ्य यह है कि उहद में हज़रत अबूबक्र , हज़रत उमर और हज़रत उस्मान जैसे रसूल के सम्मानित सहाबी भी मैदान चोड़ कर भाग खरे हुए- मर्दे किश्वरगीर अज़ कर्रारी अस्त / गौहरश रा आबरू ख़ुद्दारी अस्त्।
- आप ने कहा कि खुदा तुम्हारा भला करे यह केसी बात कह रहे हो , उस ने कहा कि यह इस लिये कि हज़रत उस्मान के खिलाफ़ जो आप ने तगो दौ की थी उस का कुछ तो कफ्फ़ारा हो जाता।
- हज़रत उस्मान से रिवायत की गई हदीस में यह कहा गया है कि जो आदमी इस हाल में मरा कि उसे इस बात का यक़ीन था कि परमेश्वर के सिवाए कोई उपास्य नहीं , वह जन्नत में दाखि़ल हो गया ।
- मुस्लम शरीफ़ में हज़रत उस्मान ग़नी रदियल्लाहो अन्हो से रिवायत है कि जिसने इशा की नमाज़ जमाअत से अदा की उसने आधी रात के क़याम का सवाब पाया और जिसने फ़ज्र भी जमाअत के साथ अदा की वह सारी रात इबादत करने वाले की तरह है .
- मतलब यह है कि अगर तलहा हज़रत उस्मान को ज़ालिम समझते थे , तो उन के क़त्ल होने के बाद उन के क़ातिलों से आमाद ए क़िसास होने के बजाय उन की मदद करना चाहिये थी , और उन के इस इक़दाम को सहीह व दुरुस्त क़रार देना चाहिये था।
- ' ' जिन लोगों ने क़त्ले उस्मान के सिलसिले में वाक़िआत तहरीर किये हैं , वह बयान करते हैं कि उन के क़त्ल के दिन तल्हा की यह हालत थी कि वह लोगों की नज़रों से बचने के लिये चेहरे पर नक़ाब डाले हुए हज़रत उस्मान के घर पर तीर बारानी कर रहे थे।
- फिर हुआ यह कि बहुमत से हज़रत मुहम्मद ( सल्ल॰ ) के पहले उत्तराधिकारी हज़रत अबूबक्र ( रज़ि॰ ) , उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी हज़रत उमर ( रज़ि॰ ) , उनकी शहादत के बाद उनके उत्तराधिकारी हज़रत उस्मान ( रज़ि॰ ) तथा उनकी शहादत के बाद उनके उत्तराधिकारी हज़रत अली ( रज़ि॰ ) नियुक्त हुए।
- इसकी तफ़सील यह है कि हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त दो बरस तीन माह , हज़रत उमर रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त दस साल छ माह , हज़रत उस्मान ग़नी रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त बारह साल और हज़रत अली रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त चार साल नौ माह और हज़रत इमाम हसन रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त छ माह हु ई.
- इसकी तफ़सील यह है कि हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त दो बरस तीन माह , हज़रत उमर रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त दस साल छ माह , हज़रत उस्मान ग़नी रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त बारह साल और हज़रत अली रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त चार साल नौ माह और हज़रत इमाम हसन रदियल्लाहो अन्हो की ख़िलाफ़त छ माह हु ई.
- कुछ उलमा ने फ़रमाया कि इससे वो अलक़ाब मुराद हैं जिन से मुसलमान की बुराई निकलती हो और उसको नागवार हो , लेकिन तारीफ़ के अलक़ाब जो सच्चे हों मना नहीं जैसे कि हज़रत अबू बक्र का लक़ब अतीक़ और हज़रत उमर का फ़ारूक और हज़रत उस्मान का ज़ुन-नूरैन और हज़रत अली का अबू तुराब और हज़रत ख़ालिद का सैफ़ुल्लाह , रदियल्लाहो अन्हु म.