हविष्यान्न का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चिकनाई , मसाले , शक्कर , नमक आदि का आदी मन और शरीर इस ढर्रे को सहज ही तोड़ नहीं पाता , परंतु धीरे- धीरे स्वादहीन आहार में ही रुचि विकसित होने लगती है हविष्यान्न , अमृताशन , ऋषि धान्यों को अकेले अथवा शाक पत्तियों के साथ भाप में पकाकर दिन में दो बार आधी मात्रा में ग्रहण करने का प्रावधान हैं।
- अतः व्रतकर्ता को चाहिए कि वह अष्टमी को ही प्रातः काल शौचादि से निवृŸा हो नदी या सरोवर या इनके अभाव में घर अथवा कुएं पर स्नान कर संध्या-वंदनादि करके देवता व पितरों का विधिवत् तर्पण कर दिन में एक ही बार स्वल्प हविष्यान्न का भोजन कर ब्रह्मचर्यादि नियमों का पालन करता हुआ भगवती सीता के चरणों में मन-बुद्धि को लगा उनके मंगलमय नाम ” श्री सीतायै नमः “ या ” श्रीसीता-रामाय नमः “ का उच्चारण करता रहे।