अबू हनीफ़ा वाक्य
उच्चारण: [ abu henifa ]
उदाहरण वाक्य
- हज़रत इमाम अबू हनीफ़ा और इमाम अबू यूसुफ़ रहमतुल्लाह अलैहिमा का यही क़ौल है और इमाम मुहम्मद व इमाम शाफ़ई रहमतुल्लाहे अलैहिमा के नज़दीक बनावट और सूरत में मारे हुए जानवर की तरह होना मुराद है.
- बालिग़ होने की उम्र इमाम अबू हनीफ़ा रदियल्लाहो अन्हो के नज़्दीक़ लड़के के लिये अठ्ठारह साल और लड़की के लिये सत्तरह साल और आम उलमा के नज़्दीक़ लड़के और लड़की दोनों के लिये पन्द्रह साल है.
- इमाम अबू हनीफ़ा (रहमतुल्लाहि अलैहि), इमाम शफ़ई (रहॉ), इमाम हम्बल (रहॉ) और ईमाम मालिक (रहॉ), ये सभी हमारे लिए समान रूप से आदर के पात्र हैं।
- इमाम अबू हनीफ़ा रह 0 के इन्तेकाल के 278 साल के बाद 428 हिजरी मे उनकी तरफ़ मन्सूब करके पहली किताब कुदुरी लिखी गयी, फ़िर 573 हिजरी मे हिदाया लिखी गयी जिसे क़ुरान की तरह माना गया |
- इमाम अबू हनीफ़ा रह 0 फ़रमाते हैं कि किसी को हलाल नही कि मेरी बात को माने जबकि ये न जाने की मैंने क्या कहा हैं, तो तकलीद से मुमानियत कि और मार्फ़त दलील कि जानिब तरगीब दी |
- इमाम अबू हनीफ़ा रह 0 फ़रमाया करते कि मेरी तकलीद मत करना और न मालिक रह 0 कि और न किसी और कि तकलीद करना और अहकाम को वहा से ले जहा से उन्होने लिये हैं किताब व सुन्नत से |
- इस तक़दीर पर ये आयतें मन्सूख़ यानी स्थगित हैं और इनमें इमाम अबू हनीफ़ा के लिये ज़ाहिर दलील है उस पर जो वो फ़रमाते हैं कि लिवातत यानी लौंडे बाज़ी में छोटी मोटी सज़ा है, बड़ा धार्मिक दण्ड नहीं.
- हनफ़ी मसलक के इमाम अबू हनीफ़ा हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की तारीफ़ करते हुए इस तरह कहते हैं कि “ मा रऐतु अफ़क़हा मिन दाफ़र बिन मुहम्मद ” [32] यानी मैने जाफ़र इब्ने मुहम्मद से बड़ा कोई फ़क़ीह नही देखा।
- चाहे इमाम अबू हनीफ़ा, इमाम शाफ़ेई, इमाम मालिक और इमाम हम्बल के मानने वाले अहले सुन्नत हों या फिर बारह इमाम के मानने वाले शिया हज़रात हों, दोनों के यहां अल्लाह के वलियों का सम्मान किया जाता था और आज भी किया जाता है।
- सभी इसलामी फ़ुक़ीहों के उस्ताद इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) है ख़ास कर इमाम अबू हनीफ़ा, यहिया बिन सईद अन्सारी, इब्ने जुरैह, इमाम मालिक इब्ने अनस, इमाम सुफ़यान सौरी, सुफ़यान बिन ऐनैह, अय्यूब सजिस्तयानी इत्यादि का नाम आप के शिष्यों मे दर्ज है।