अभिनवभारती वाक्य
उच्चारण: [ abhinevbhaareti ]
उदाहरण वाक्य
- हालाँकि उक्त टीकाकार आचार्यों का उल्लेख विभिन्न काव्यशास्त्रों तथा इस ग्रंथ पर उपलब्ध एक मात्र आचार्य अभिनवगुप्त की टीका ‘ अभिनवभारती ' में मिलता है, अन्य उक्त आचार्यों की टीकाएँ आज अनुपलब्ध हैं।
- आचार्य विश्वेश्वर सिद्धांत-शिरोमणि ने ‘ अभिनवभारती ' का यथासम्भव पाठ संशोधन कर नया संस्करण प्रस्तुत किया और सम्पादन भी किया, जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय की ‘ हिन्दी अनुसंधान परिषद ' ने प्रकाशित किया है।
- कुछ विचारकों ने इसी आधार पर कि शान्त भावशून्य स्थिति का द्योतक है, उसकी अनभिनेयता सिद्ध की और उसका खण्डन किया, जिसका विरोध ‘ अभिनवभारती ' और ‘ रसगंगाधर ' आदि अनेक ग्रन्थों में मिलता है।
- जिन मतों का उल्लेख ‘ अभिनवभारती ' में हुआ है, उनमें से एक शम को स्थायी, तपस्या तथा योगियों के सम्पर्क को विभाव, काम, क्रोध आदि के अभाव को अनुभाव और धृति, मति आदि को संचारी मानता हुआ शान्त रस की कल्पना सम्पूर्ण रसांगों के साथ करता है।