अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' वाक्य
उच्चारण: [ ayodheyaasinh upaadheyaay 'heriaudh' ]
उदाहरण वाक्य
- हास्य रस का सांगोपांग विवेचन करने वाले भारतीय एवं पाश्चात्य साहित्य शास्त्रियों ने भले ही इसे रसराज ना माना हो किंतु उसकी व्यापकता को अवश्य स्वीकार है! 'रस कलश' के रचियता महाकवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का कहना है की-'यदि श्रृंगार रस जीवन है तो हास्य रस आनंद यदि वह प्रसून है तो यह है विकास, जिससे दोनों में आधार-आधेय का सम्बन्ध पाया जाता है!'