अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' वाक्य
उच्चारण: [ ayodheyaa sinh upaadheyaay 'heriaudh' ]
उदाहरण वाक्य
- हो गया कैसा निराला यह सितम भेद सारा खोल क्यों तुमने दिया यों किसी का है नहीं खोते भरम आँसुओं, तुमने कहो यह क्या किया?-अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' मातृ-भाषा के प्रति निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।
- पुस्तक समीक्षाआदरणीय इं० अम्बरीष श्रीवास्तव ' अंबर' जी की पुस्तक 'देश को प्रणाम है' की पुस्तक समीक्षा'देश को प्रणाम है': इं० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'कविवर अंबरीष श्रीवास्तव 'अंबर' जी के काव्य संग्रह से गुजरना छंदमय कविता के उस युग से साक्षात्कार करने के समान है जब अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का 'प्रिय प्रवास' अपनी स्वर्णरश्मियाँ' बिखेरा करता था अथवा जब जगन्नाथदास 'रत्नाकर ' ने विरह और दर्शन का अप्रतिम काव्यग्रंथ 'उद्धव शतक' रचा होगा, या फिर जब मैथलीशरण गुप्त और रामाधारी सिंह 'दिनकर ' जैसे…