आपस्तम्ब धर्मसूत्र वाक्य
उच्चारण: [ aapestemb dhermesuter ]
उदाहरण वाक्य
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र [124] ने अधोलिखित सूचना दी है-' पुराने काल में मनुष्य एवं देव इसी लोक में रहते थे।
- अपने कथन के समर्थन में डा 0 साहब ' ' आपस्तम्ब धर्मसूत्र '' और '' वशिष्ठ धर्मसूत्र '' से कतिपय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
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- ” । इसी प्रकार आपस्तम्ब धर्मसूत्र के श्लोक १, ५, १ ७, १ ९ में भी गोमांसाहार पर एक प्रतिबंध लगाया है।
- (असमान प्रवरैर्विगत) आपस्तम्ब धर्मसूत्र कहता है-‘ संगोत्राय दुहितरेव प्रयच्छेत् ' (समान गोत्र के पुरूष को कन्या नहीं देना चाहिए) ।
- इस अन्तिम सूत्र के कारण हरदत्त (आपस्तम्ब धर्मसूत्र के टीकाकार) एवं अन्य लोगों का कथन है कि श्राद्ध में ब्राह्मणों को खिलाना प्रमुख कृत्य है।
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र के १ ४, १ ५, और १ ७ वें श्लोक में ध्यान देने योग्य है, “ गाय और बैल पवित्र है इसलिये खाये जाने चाहिये ” ।
- जिन ग्रंथो के सन्दर्भों का उल्लेख किया गया है वे हैं-काठक संहिता, मैत्रायणी संहिता, आपस्तम्ब धर्मसूत्र, विष्णु स्मृति, वसिष्ठ धर्मसूत्र, मनुस्मृति, गौतमधर्मसूत्र, बृहस्पति धर्मसूत्र आदि।
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र [265], मनु[266], विष्णुधर्मसूत्र[267], कूर्म पुराण[268], ब्रह्माण्ड पुराण[269], भविष्य पुराण[270] ने रात्रि, सन्ध्या (गोधूलि काल) या जब सूर्य का तुरत उदय हुआ हो तब-ऐसे कालों में श्राद्ध सम्पादन मना किया है।