उणादि वाक्य
उच्चारण: [ unaadi ]
उदाहरण वाक्य
- प्रत्येक व्याकरण-सम्प्रदाय का उणादि अविभाज्य तथा आवश्यक अंग है।
- पाणिनीय सम्प्रदाय में उणादि के द्विविध रूप में मिलते हैं-पञ्चपादी, दशपादी।
- उणादि सूत्र प्रत्येक शब्द की साधुता प्रत्यय के योग से सिद्ध करते हैं।
- उणादि सूत्र प्रत्येक शब्द की साधुता प्रत्यय के योग से सिद्ध करते हैं।
- आदि। साथ ही उणादि के विश्लेषण का नियम बताते हुए कहा है-" संज्ञासु धातुरूपाणि प्रत्ययाश्चत तत: परे।
- इन नियमों की पूर्त्ति के लिये धातु पाठ, गण पाठ तथा उणादि सूत्र भी पाणिनि ने बनाये।
- कृ-वा-पा-जिमि-स्वाद-साध्यशूभ्यं उण्-इस प्रत्यय के आदिम होने के कारण यह समस्त प्रत्यय-समुच्चय उणादि के नाम से प्रख्यात है।
- वर्तमान उणादि सूत्रों के पाणिनिकृत होने में संदेह है और उन्हें अष्टाध्यायी के गणपाठ के समान अभिन्न अंग नहीं माना जा सकता।
- वर्तमान उणादि सूत्रों के पाणिनिकृत होने में संदेह है और उन्हें अष्टाध्यायी के गणपाठ के समान अभिन्न अंग नहीं माना जा सकता।
- वर्तमान उणादि सूत्रों के पाणिनिकृत होने में संदेह है और उन्हें अष्टाध्यायी के गणपाठ के समान अभिन्न अंग नहीं माना जा सकता।