ऐतिह्य वाक्य
उच्चारण: [ aitihey ]
उदाहरण वाक्य
- क्योंकि इतिहास परम्परागत अस्तित्व एवं ज्ञान का द्योतक है तथा परम्परागत ज्ञान का बोध कराता है, इसलिए ' ऐतिह्य ' शब्द मात्र ही ज्ञान एवं ऐतिहासिक शब्द का बोध करा देता है ।।
- हम चाहते हैं कि चौरासि कोस ब्रज धाम, जो भगवान श्रीकृष्ण और उनकी ह्लादिनीशक्ति स्वरूपा श्रीमती राधारानी की लीलास्थलि है, उसका विश्वपावन संस्कृति एवं स्थापत्यमय ऐतिह्य और उसका आरण्य-कुंज-निकुंज-मय सौन्दर्य-पूर्ण प्रकृति-पर्यावरण सुरक्षित और पुनर् उज्जीवत हो ॥ जै श्री राधे!
- और जब वे इसे कविता के बरक्स देखते हैं-' नई कहानी अपने समकालीन काव्य आंदोलन 'नई कविता' से भिन्न विचारधाराओं से परिचालित है यह तो नहीं कहा जा सकता, मगर उसका अंतर्विरोध काव्य चेतना के अंतर्विरोधों की अपेक्षा ठोस, मूर्त और ऐतिह्य है।
- इन वृत्तों में अनेक प्रकार का ऐतिह्य है-असुरी-बाबुली-मिस्री राजाओं और सम्राटों के साथ सुलहनामे और अहदनामे, राजघोषणाएँ और राजकीय दानपत्र, नगरों के पारस्परिक विवादों में मध्यस्थता और सुलह, विद्रोही सामंतों के विरुद्ध साम्राज्य के अपराध परिगणन, सभी कुछ इन खत्ती अभिलेखों में भरा पड़ा है।
- इन वृत्तों में अनेक प्रकार का ऐतिह्य है-असुरी-बाबुली-मिस्री राजाओं और सम्राटों के साथ सुलहनामे और अहदनामे, राजघोषणाएँ और राजकीय दानपत्र, नगरों के पारस्परिक विवादों में मध्यस्थता और सुलह, विद्रोही सामंतों के विरुद्ध साम्राज्य के अपराध परिगणन, सभी कुछ इन खत्ती अभिलेखों में भरा पड़ा है।
- ऋषि दयानन्द जी महाराज ने अपने ग्रन्थों में वेदादि सत्य शास्त्रों के आधार पर यह बतलाया कि दर्शन व ज्ञान, जिसे देखना कहते हैं, वह केवल इन बाहरी चमड़े की आँखों से नहीं अपितु आठ प्रकार से होता है-प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, ऐतिह्य, अर्थापत्ति, सम्भव और अभाव।
- जबकि न्याय सूत्रकार ने * * प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और आगम (शब्द)-इन चार प्रमाणों को स्वीकार किया है तथा ऐतिह्य, अर्थापत्ति, संभव और अभाव-इन चार का स्पष्ट रूप से उल्लेख करके उनकी अतिरिक्त प्रमाणता की आलोचना की हें साथ ही शब्द में ऐतिह्य का और अनुमान में शेष तीनों का अन्तर्भाव प्रदर्शित किया है।
- जबकि न्याय सूत्रकार ने * * प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और आगम (शब्द)-इन चार प्रमाणों को स्वीकार किया है तथा ऐतिह्य, अर्थापत्ति, संभव और अभाव-इन चार का स्पष्ट रूप से उल्लेख करके उनकी अतिरिक्त प्रमाणता की आलोचना की हें साथ ही शब्द में ऐतिह्य का और अनुमान में शेष तीनों का अन्तर्भाव प्रदर्शित किया है।