कल्याण वर्मा वाक्य
उच्चारण: [ kelyaan vermaa ]
उदाहरण वाक्य
- शायद यह किस्मत की ही बात है कि सब सपने पूरे करने का मौका मिला मुझे, वरना कल्याण वर्मा की तरह पक्की नौकरी और महीनाबंद तनख्वाह छोड़ कर अपने सपने पूरे करना का साहस मुझमें नहीं था.
- शायद यह किस्मत की ही बात है कि सब सपने पूरे करने का मौका मिला मुझे, वरना कल्याण वर्मा की तरह पक्की नौकरी और महीनाबंद तनख्वाह छोड़ कर अपने सपने पूरे करना का साहस मुझमें नहीं था.
- वैदिक काल एवं तदनंतर वराहमिहिर, कल्याण वर्मा, भास्कराचार्य, ढुण्ढिराज तक के समय ज्योतिष के संबंध में लिखे गये ग्रथों में इसे सहज बनाने के प्रयास स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं क्योंकि उस काल में यह विधा एक व्यावसायिक विधा के रूप में प्रतिष्ठित नही था ।
- आचार्य वराहमिहिर और कल्याण वर्मा के पश्चात लम्बे समय तक ज्योतिषीय अनुसन्धान के क्षेत्र में शून्य का दौर रहा है, लेकिन पिछले दशको में कुछ विद्वानो (श्री कृष्णमूर्ति इत्यादि) ने इस विषय पर काफी नये-नये अनुसन्धान किये है जिसके परिणाम स्वरुप फलित ज्योतिष की सत्यता के प्रतिशत में अच्छी वृद्धि हुई है.
- आचार्य वराहमिहिर और कल्याण वर्मा के पश्चात लम्बे समय तक ज्योतिषीय अनुसन्धान के क्षेत्र में शून्य का दौर रहा है, लेकिन पिछले दशको में कुछ विद्वानो (श्री कृष्णमूर्ति इत्यादि) ने इस विषय पर काफी नये-नये अनुसन्धान किये है जिसके परिणाम स्वरुप फलित ज्योतिष की सत्यता के प्रतिशत में अच्छी वृद्धि हुई है.
- फ़िर आया कम्पयूटर और इंटरनेट का इंकलाब और घर बैठे बैठे लिखने, चित्र बनाने जैसे और सपने भी पूरे हो गये.शायद यह किस्मत की ही बात है कि सब सपने पूरे करने का मौका मिला मुझे, वरना कल्याण वर्मा की तरह पक्की नौकरी और महीनाबंद तनख्वाह छोड़ कर अपने सपने पूरे करना का साहस मुझमें नहीं था.
- भारतीय ज्योतिष के आधार पुरूष महर्षि पाराशर ने अपने ग्रंथ “वृहतपाराशर होराशास्त्र” में मंगल दोष का कोई उल्लेख नहीं किया है और उन्होंने ही क्यों, उनके अतिरिक्त भी अन्य ज्योतिष युग पुरूषों तथा प्रवर्तकों, तथा बैद्यनाथ, कल्याण वर्मा आदि ने मंगल दोष, अथवा मांगलिक दोष नाम से किसी योग का विचार नहीं दिया है, फिर भी यह तथ्य निर्विवादित है कि मंगल नैसर्गिक रूप से पाप ग्रह हैं।
- कल्याण वर्मा द्वारा रचित सारावली मे ज्योतिष का जो रूप प्रस्तुत किया गया है, उसके द्वारा हमें पूर्ण रूप से भूत काल वर्तमान काल और भविष्य काल का ज्ञान करने मे कोई परेशानी नही होती है.ज्योतिष की जानकारी के लिये सारावली मे कल्याण वर्मा ने जो कथन अपनी लेखनी से संवत १२४५ मे (आज से ८२० साल पहले) किया था,वह आज भी देश काल और परिस्थिति के अनुसार शत प्रतिशत खरा उतरता है.
- कल्याण वर्मा द्वारा रचित सारावली मे ज्योतिष का जो रूप प्रस्तुत किया गया है, उसके द्वारा हमें पूर्ण रूप से भूत काल वर्तमान काल और भविष्य काल का ज्ञान करने मे कोई परेशानी नही होती है.ज्योतिष की जानकारी के लिये सारावली मे कल्याण वर्मा ने जो कथन अपनी लेखनी से संवत १२४५ मे (आज से ८२० साल पहले) किया था,वह आज भी देश काल और परिस्थिति के अनुसार शत प्रतिशत खरा उतरता है.