काँच की दीवार वाक्य
उच्चारण: [ kaanech ki divaar ]
उदाहरण वाक्य
- हम जानते हैं कि प्लाईवुड की दीवार को तोड़ना काँच की दीवार को तोड़ने से ज्यादा कठिन नही है, फिर क्यों लोगों ने प्लाईवुड की दीवार नही तोड़ी?
- तेरे मेरे बीच का फासला, वक्त का काँटा और फूल पलाश के, जमी हुई घुटन, उलझी गाँठे, विश्वास, और फिर काँच की दीवार..
- मछली की इस व्यग्र-बेचैनी ने तनिमा को भीतर से झकझोर-सा दिया था. उसे तो ऐसा लगने लगा था, मानो वह काँच की दीवार पर नहीं, बल्कि उसके हृदय की दीवार पर अपना सिर फोड़ रही हो.
- वह जब उन्हें बेंच पर बैठा कर मैनेजर के कमरे की ओर बढ़ा, तब तक बीच वाली काँच की दीवार से हो कर मैनेजर मिस्टर पी. के. दत्ता की नजर उस पर पड़ चुकी थी।
- एक मनोरंजक उदाहरण के रूप में डोनाल्ड बताते हैं कि जब एक रैलवे-स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिये बनी सीटों के चारों और काँच की दीवार बनाई गई तो असमाजिक तत्व रोज ही उस काँच को तोड़ देते थै।
- एक मनोरंजक उदाहरण के रूप में डोनाल्ड बताते हैं कि जब एक रैलवे-स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिये बनी सीटों के चारों और काँच की दीवार बनाई गई तो असमाजिक तत्व रोज ही उस काँच को तोड़ देते थै।
- सॉवेस्टर ने पत्थरकार्य से स्तंभाधार के पाँव को सजाने, प्रथम स्तर पर स्मारकीय मेहराबों को स्तंभों से जोड़ने और प्रथम स्तर, प्रत्येक स्तर पर बड़े काँच की दीवार के बने वृहद कमरे, बल्ब के आकार की डिज़ाइन शिखर के लिये और सम्पूर्ण ढाँचे को सजाने के लिये विभिन्न दूसरी अलंकारिक विशिष्टताएँ प्रस्तावित की।
- हम जानते हैं कि प्लाईवुड की दीवार को तोड़ना काँच की दीवार को तोड़ने से ज्यादा कठिन नही है, फिर क्यों लोगों ने प्लाईवुड की दीवार नही तोड़ी? बात यह है कि जब हम काँच देखते हैं और बिगाड़ने का मन होता है तो मन में ख् याल आता है तोड़ दें।
- अलबत्ता, वह तिलिस्म जिसे हरिपाल त्यागी ने इतनी देर में मेरे और त्रिलोचनजी के बीच में किसी काँच की दीवार की तरह खड़ा कर दिया था, झन्न से टूटकर बिखर जाता है और अब त्रिलोचनजी बड़ी स्नेहिल निगाहों से मुझे देखते, बल्कि अपने स्नेह से नहलाने लगते हैं और ‘त्रिलोचनजी के भाई' का जो चमत्कारी बिम्ब इतनी देर में बना था, वह देखते-देखते शून्य में बिला गया।
- अलबत्ता, वह तिलिस्म जिसे हरिपाल त्यागी ने इतनी देर में मेरे और त्रिलोचनजी के बीच में किसी काँच की दीवार की तरह खड़ा कर दिया था, झन्न से टूटकर बिखर जाता है और अब त्रिलोचनजी बड़ी स्नेहिल निगाहों से मुझे देखते, बल्कि अपने स्नेह से नहलाने लगते हैं और ‘ त्रिलोचनजी के भाई ' का जो चमत्कारी बिम् ब इतनी देर में बना था, वह देखते-देखते शून्य में बिला गया।