कुट्टनी वाक्य
उच्चारण: [ kutetni ]
उदाहरण वाक्य
- यह काव्य अपनी मधुरिमा, शब्दसौष्ठव तथा अर्थगांभीर्य के निमित्त आलोचनाजगत् में पर्याप्त विख्यात है, परंतु कवि का वास्तवकि अभिप्राय सज्जनों को कुट्टनी के हथकंडों से बचाना है।
- कुट्टनी वेश्या को कामुकों से धन ऐंठने की शिक्षा देती हैं, हृदय देने की नहीं; वह उसे प्रेमसंपन्न धनहीनों को घर से निकाल बाहर करने का भी उपदेश देती है।
- कथा का चामत्कारिक अंत करने के लिए बहुत बार नायक की अनुपस्थिति में किसी मनचले अथवा विषयी राजा या राजकुमार की ओर से कोई कुट्टनी नायिका के पास भेज दी जाती है।
- कथा का चामत्कारिक अंत करने के लिए बहुत बार नायक की अनुपस्थिति में किसी मनचले अथवा विषयी राजा या राजकुमार की ओर से कोई कुट्टनी नायिका के पास भेज दी जाती है।
- कुट्टनी के व्यापक प्रभाव, वेश्याओं के लिए महानीय उपादेयता तथा कामुक जनों को वशीकरण की सिद्धि दिखलाने के लिए कश्मीर नरेश जयापीड (779 ई.-812) के प्रधान मंत्री दामोदर गुप्त ने कुट्टनीमतम् नामक काव्य की रचना की थी।
- संगीता स्वरुप जी, कालान्तर में घर में निम्नस्तरीय षड्यंत्र करने वाली स्त्रियों के लिए भी “ कुटनी ” शब्द प्रयोग में लाया जाने लगा क्योंकि ‘ कुट्टनी ‘ अथवा ‘ कुटनी ' भी सभ्य घरों की युवतियों को बहलाने-फुसलाने के लिए षड्यंत्र करती थीं।
- यों, यात्राओं, विवाहों आदि की रोमांचक कथाएँ हैं जिनमें अद्भुत कन्याओं और उनके साहसी प्रेमियों, राजाओं तथा नगरों, राजतंत्र एवं षड्यंत्र, जादू और टोने, छल एवं कपट, हत्या और युद्ध, रक्तपायी वेताल, पिशाच, यक्ष और प्रेत, पशुपक्षियों की सच्ची और गढ़ी हुई कहानियाँ एवं भिखमंगे, साधु, पियक्कड़, जुआरी, वेश्या, विट तथा कुट्टनी आदि की विविध कहानियाँ संकलित हैं।
- में नरवाहनदत्त के साहसिक कृत्यों, यात्राओं, विवाहों आदि की रोमांचक कथाएँ हैं जिनमें अद्भुत कन्याओं और उनके साहसी प्रेमियों, राजाओं तथा नगरों, राजतंत्र एवं षड्यंत्र, जादू और टोने, छल एवं कपट, हत्या और युद्ध, रक्तपायी वेताल, पिशाच, यक्ष और प्रेत, पशुपक्षियों की सच्ची और गढ़ी हुई कहानियाँ एवं भिखमंगे, साधु, पियक्कड़, जुआरी, वेश्या, विट तथा कुट्टनी आदि की विविध कहानियाँ संकलित हैं।
- कुट्टीनमत में चित्रित विकराला नामक कुट्टनी (कुट्टनीमत, आर्या 27-30) से कुट्टनी के बाह्य रूप का सहज अनुमान किया जा सकता है-अंदर को धँसी आँखें, भूषण से हीन तथा नीचे लटकनेवाला कान का निचला भाग, काले सफेद बालों से गंगाजमुनी बना हुआ सिर, शरीर पर झलकनेवाली शिराएँ, तनी हुई गरदन, श्वेत धुली हुई धोती तथा चादर से मंडित देह, अनेक ओषधियों तथा मनकों से अलंकृत गले से लटकनेवाला डोरा, कनिष्ठिका अँगुली में बारीक सोने का छल्ला।
- कुट्टीनमत में चित्रित विकराला नामक कुट्टनी (कुट्टनीमत, आर्या 27-30) से कुट्टनी के बाह्य रूप का सहज अनुमान किया जा सकता है-अंदर को धँसी आँखें, भूषण से हीन तथा नीचे लटकनेवाला कान का निचला भाग, काले सफेद बालों से गंगाजमुनी बना हुआ सिर, शरीर पर झलकनेवाली शिराएँ, तनी हुई गरदन, श्वेत धुली हुई धोती तथा चादर से मंडित देह, अनेक ओषधियों तथा मनकों से अलंकृत गले से लटकनेवाला डोरा, कनिष्ठिका अँगुली में बारीक सोने का छल्ला।