कौषीतकि उपनिषद वाक्य
उच्चारण: [ kausiteki upenised ]
उदाहरण वाक्य
- कौषीतकि उपनिषद में उत्तराधिकार के संबंध में कई बातों का विस्तार पूर्वक उल्लेख मिलता है.
- कौषीतकि उपनिषद में बताया गया है कि चंद्र देव की उपासना पूजा करना सभी सुखों की प्राप्ति करवाता है.
- कौषीतकि उपनिषद में सोमोपासना का विधान भी दिया गया है जिसके लिए उपासक को सोम देव से प्रार्थना करनी चाहि ए.
- इसके पहले दो अध्यायों को ब्राह्मणभाग माना जाता है और तीन से छ: अध्याय तक कौषीतकि उपनिषद के रूप में जाना जाता है।
- कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद को कौषीतकि उपनिषद भी कहा जाता है यह एक ऋग्वेदीय उपनिषद है यह उपनिषद कौषीतकि ब्राह्मण का अंश है जिसमें चार अध्याय दिए गए हैं.
- कौषीतकि उपनिषद के प्रथम अध्याय में चित्र के संवादों द्वारा ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले अग्निहोत्र तथा उससे प्राप्त फल का विवरण किया गया है.
- उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं, जिसमें प्रश्न, माण्डूक्य, केन, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन, ईश, कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।
- इसके साथ ही कौषीतकि उपनिषद में सूर्य, चंद्रमा, आकाश, वायु, अग्नि व जल में विद्यमान परम चैतन्य तत्व की उपासना को दर्शाया गया है तथा इनके महत्व परिभाषित किया गया है.
- उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं, जिसमें प्रश्न, माण्डूक्य, केन, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन, ईश, कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।
- उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं, जिसमें प्रश्न, माण्डूक्य, केन, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन, ईश, कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।