गायत्री छन्द वाक्य
उच्चारण: [ gaaayetri chhend ]
उदाहरण वाक्य
- यदि कहो गायत्री छन्द का कथन होने के कारण उसी के चार पादों का वर्णन है, ब्रहम् के चार पादों का वर्णन नहीं है।
- चूँकि यह छन्द ज्ञेय यानी सुन्दर लय-स्वर में गाया जाने वाला है, इसलिये छन्द के प्रकारों में इस गायत्री छन्द का विशेष महत्व है-विशेष मान्यता है ।
- गायत्री के समग्र विनियोग में सविता देवता, विश्वामित्र ऋषि एवं गायत्री छन्द का उल्लेख किया गया है, परन्तु उसके वर्गीकरण में प्रत्येक अक्षर एक स्वतंत्र शक्ति बन जाता है ।
- गायत्री के समग्र विनियोग में सविता देवता, विश्वामित्र ऋषि एवं गायत्री छन्द का उल्लेख किया गया है, परन्तु उसके वर्गीकरण में प्रत्येक अक्षर एक स्वतंत्र शक्ति बन जाता है ।।
- पृथ्वी पर गायत्री छन्द को, अन्तरिक्ष में त्रिष्टुप् छन्द को तथा आकाश में जगती छन्द को स्थापित करने वाले को जो जान लेता है, वह मोक्ष (देवत्व) को प्राप्त कर लेता है ।
- ॐ-देव मन्त्र के अभीष्ट देव को हटाकर-समाप्त करने का दुष्प्रयास करते हुए गायत्री छन्द के नाम पर काल्पनिक और झूठी स्त्री रूपा आकृति बना-बनवा कर समाज को वास्तविक ॐ-देव से विमुख क्यों किया जा रहा है?
- देवताओं ने विष्णु को पूर्व की ओर रखकर अनुष्टुप छन्द से परिवृत किया तथा बोले-” तुमको दक्षिण दिशा में गायत्री छन्द से, पश्चिम दिशा में त्रिष्टुप छन्द से और उत्तर दिशा में जगती छन्द से परिवेष्टित करते हैं।
- ‘ मंत्र ' विषय पर इस ‘ वैदिक ज्ञान विज्ञान कोश ' में प्रख्यात मनीषी आचार्य परम हंस मिश्र का लेख ‘ ओम् ' पर है, तो डा. प्रणव पांड्या का लेख गायत्री छन्द एवं मन्त्र-एक आध्यात्मिक चेतना के साथ ही ‘
- ऊँ कया निश्चत्रेति मंत्रस्य वामदेव ऋषि: गायत्री छन्द: राहुर्देवता: राहुप्रीत्यर्थे जपे विनोयोग: ॥ दाहिने हाथ में जाप करते वक्त पानी या चावल ले लें, और यह मंत्र जपते हुये वे चावल या पानी राहुदेव की प्रतिमा या यंत्र पर छोड दें।
- आप सब मेरी इन दो-एक बातों पर जरा ध्यान दें कि......... गायत्री छन्द मात्र में उद्धृत होने के नाते ॐ देव मन्त्र के अभीष्ट ॐ देव को समाप्त कर उनके स्थान पर काल्पनिक देवी को स्थापित कर प्रचारित करना-कराना क्या देव द्रोहिता नहीं है? असुरता नहीं है?