ग्रासनाल वाक्य
उच्चारण: [ garaasenaal ]
उदाहरण वाक्य
- शल्य क्रिया द्वारा ग्रासनाल का छेदन उन्हीं रोगियों में संभव है जिनमें अर्बुद का दूसरे अंगों में प्रसार (
- गले से पेट तक चलती हुई एक और भी नली होती है जिसे ग्रासनाल या खाने की नली कहते हैं।
- हृदय दाह) का कारण प्राय: अपच तथा ग्रासनाल के निम्न भाग, आभाशय तथा यकृत संबंधी कुछ रोग हो सकते हैं।
- मोरे ईलों के दो जबड़े-बाहरी जबड़ा मुख में और एक भीतरी जबड़ा ग्रास को पकड़कर ग्रासनाल में धकेलने के लिए
- इसी कारण से खाना ग्रासनाल से होते हुए पेट में तो जाता है लेकिन श्वासनाल या फेफड़ों में बिलकुल प्रवेश नहीं करता।
- इसी कारण से खाना ग्रासनाल से होते हुए पेट में तो जाता है लेकिन श्वासनाल या फेफड़ों में बिलकुल प्रवेश नहीं करता।
- 4. हृद्द्वार आकर्ष (Cardiosperm)-हृद्द्वार संवरणों पेशी में बार बार आकर्ष होने से ग्रासनाल का निचला भाग विस्तृत हो जाता है।
- यह गति सारे पाचक नाल में, ग्रासनाल से लेकर मलाशय तक, होती रहती है, जिससे खाया हुआ या पाचित आहार निरंतर अग्रसर होता जाता है।
- ग्रासनाल या ग्रासनली (ओसोफैगस) लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी एक संकरी पेशीय नली होती है जो मुख के पीछे गलकोष से आरंभ होती है, सीने से थोरेसिक डायफ़्राम से गुज़रती है, और उदर स्थित हृदय द्वार पर जाकर समाप्त होती है।
- ग्रासनाल या ग्रासनली (ओसोफैगस) लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी एक संकरी पेशीय नली होती है जो मुख के पीछे गलकोष से आरंभ होती है, सीने से थोरेसिक डायफ़्राम से गुज़रती है, और उदर स्थित हृदय द्वार पर जाकर समाप्त होती है।