चीड़ का पेड़ वाक्य
उच्चारण: [ chid kaa ped ]
उदाहरण वाक्य
- जहाँ से पत्थर आ रहे थे, उस पहाड़ की ओर जब ऊपर की ओर नजर डाली तो पहाड़ की छाती पर बड़ा चीड़ का पेड़ मरा पड़ा था, बाकी तमाम पहाड़ नंगा था।
- तुम चीड़ का पेड़ हो नयी कोंपल उगने से पहले जो गिराता रहता है सूखी पत्तियां और जमीन पर छोड़ जाता है ढेर-सा पुराल जंगल जले या खाद बने खेतों की सवाल पुराल के इस्तेमाल का है।
- तुम चीड़ का पेड़ हो प्यार और ममता की ऊंचाई में जो पैदा होता है / पलता है, बढ़ता है और जवान होने से पहले ही तने से रिसते लीसे की तरह किश्तों की मौत मरता है।
- कवि राम प्रसाद अनुज की कविता को पोस्ट करते हुए मैं जिन कारणों से उसकी व्याख्या नहीं करना चाहता था, उसके पीछे स्पष्ट मत था कि यह मुगालता मुझे नहीं था कि चीड़ का पेड़ कोई अतविशिष्ट कविता है।
- वरना पत्नी मेरे पीछे पड़ी रहती, “ लाल और नीले रंग की सजावट तो पिछले साल की थी, इस साल कौन से रंग की करें? ” इस बार पुत्र और पुत्रवधु का निर्णय है कि क्रिसमस के लिए जो छोटा सा चीड़ का पेड़ खरीदा गया है उसे श्वेत, चाँदी और नीले रंग से सजाया जाये.
- मेहता जी, आपको याद होगा जब चीड़ के पेड़ लगाये जा रहे थे, वनीकरण के दौरान, तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था कि चीड़ के पेड़ से हमारा भूजल सूख जायेगा, लेकिन किसी ने नहीं सुना और आज पहाड़ का पानी सूख रहा है, चीड़ का पेड़ पानी ही नहीं सुखाता बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति को भी कम कर देता है.....
- यद्यपि चीड़ का पेड़ सदाबहार होता है, पर हर साल जाड़ों में पुराने पत्ते गिरते रहते हैं और नए आते रहते हैं बसंत ऋतु आते ही अनेक नई कोपलें फूटती हैं बादामी रंग का पिरूल (पुरानी पत्तियाँ) पालतू जानवरों के सुतर-बिस्तर के लिए काम में लिया जाता है तथा खेतों में पुरानी फसल के डंठलों / खुमों को जलाने के काम में भी लिया जाता है.
- वहीं लंबा, तनकर सीधा खडा, चीड़ का पेड़, जब ताप से बचने को लोग शीतलता ढूंढते है, वह अपनी छुन्तियों से, जेठ की तपती दोपहर में, हौंसले झाड़ता है, जिन्हें बचपन में हम लोग लग्न और तत्परता से समेटा करते थे! छूट गई वो हिम्मत शहर आने के बाद, उन हौंसलों को एक बार फिर से बटोर लाने का दिल करता है!
- इस बार पुत्र और पुत्रवधु का निर्णय है कि क्रिसमस के लिए जो छोटा सा चीड़ का पेड़ खरीदा गया है उसे श्वेत, चाँदी और नीले रंग से सजाया जाये.पेड़ सजाना तो फ़िर भी आसान है, असली सिरदर्द तो भेंट खरीदने की बहस से होती है."किसको क्या दिया जाये? अरे फ़िर से जुराबें, याद नहीं कि पिछले साल भी तो जुराबें ही दी थीं? नहीं दस्ताने नहीं, दो साल पहले दस्ताने ही दिये थे!