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चुम्बकीय ऊर्जा वाक्य

उच्चारण: [ chumebkiy oorejaa ]

उदाहरण वाक्य

  1. * पृथ्वी पर तथा मानव शरीर में जल का भाग लगभग ७ ० % है, तथा जल किसी भी प्रकार की जैव-विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के प्रति अति संवेदनशील है ।
  2. पूर्व के आकलन में साइंसदानों ने यह भी बतलाया था, २ ० १ ३ में सौर चुम्बकीय ऊर्जा का शीर्ष अपने साथ बड़ी तादाद में सौर ज्वालाओं की बमबारी करवा सकता है पृथ्वी पर.
  3. भवन का निर्माण वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप करने पर, उस स्थल पर निवास करने वालों को प्राकृतिक एवं चुम्बकीय ऊर्जा शक्ति एवं सूर्य की शुभ एवं स्वास्थ्यपद रश्मियों का शुभ प्रभाव पाप्त होता है।
  4. इसमे ' नैनोमैग्नेट्स ' के साथ कुछ विद्युतरोधी पदार्थ यथा एल्यूमिनियम, मैग्नीशियम आदि के आक्साइड्स के नैनो कणों का प्रयोग किया गया है इसलिये इसमे बिना किसी रासायनिक क्रिया के चुम्बकीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है।
  5. इसमें मैंने एक जगह पढ़ा कि स्वामी शिवानन्द ने उनसे कहा-‘ इच्छा जो तुम्हारे हृदय और अंतरात्मा में उत्पन्न होती है, जो शुद्ध मन से की गयी हो, एक विस्मित कर देने वाली विद्युत् चुम्बकीय ऊर्जा लिए होती है।
  6. ” उन्होने समझाया कि अनेक मन्दाकिनियों की नाभियां एक्स-रे से लेकर प्रकाशीय, अवरक्त तथा रोडियो तक की तरंगों का तीव्र विकिरण करती हैं, जब कि अति-संपुन्जित कृष्ण विवर की नाभि से कणों और चुम्बकीय ऊर्जा का सीधा प्रधार निकलता है।
  7. वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार भवन का निर्माण कराकर आप उत्तरी ध्रुव से चलने वाली चुम्बकीय ऊर्जा, सूर्य के प्रकाश में मोजूद अल्ट्रा वायलेट रेज और इन्फ्रारेड रेज, गुरुत्वाकर्षण-शक्ति तथा अनेक अदृश्य ब्रह्मांडीय तत्व जो मनुष्य को प्रभावित करते है के शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते है.
  8. वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार भवन का निर्माण कराकर आप उत्तरी ध्रुव से चलने वाली चुम्बकीय ऊर्जा, सूर्य के प्रकाश में मोजूद अल्ट्रा वायलेट रेज और इन्फ्रारेड रेज, गुरुत्वाकर्षण-शक्ति तथा अनेक अदृश्य ब्रह्मांडीय तत्व जो मनुष्य को प्रभावित करते है के शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते है।
  9. मंत्रोच्चारण से या जाप करने से शरीर के 6 प्रमुख जैविकीय ऊर्जा केंद्रों से 6250 की संख्या में विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगें उत्सर्जित होती हैं, जो इस प्रकार हैं: मूलाधार 4 ×125=500 स्वधिष्ठान 6 ×125=750 मनिपुरं 10 ×125=1250 हृदयचक्र 13 ×125=1500 विध्रहिचक्र 16 ×125=2000 आज्ञाचक्र 2 ×125=250 कुल योग 6250 (विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगों की संख्या) भारतीय कुंडलिनी विज्ञान के अनुसार मानव के स्थूल शरीर के साथ-साथ 6 अन्य सूक्ष्म शरीर भी होते हैं।
  10. मंत्रोच्चारण से या जाप करने से शरीर के 6 प्रमुख जैविकीय ऊर्जा केंद्रों से 6250 की संख्या में विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगें उत्सर्जित होती हैं, जो इस प्रकार हैं: मूलाधार 4 ×125=500 स्वधिष्ठान 6 ×125=750 मनिपुरं 10 ×125=1250 हृदयचक्र 13 ×125=1500 विध्रहिचक्र 16 ×125=2000 आज्ञाचक्र 2 ×125=250 कुल योग 6250 (विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगों की संख्या) भारतीय कुंडलिनी विज्ञान के अनुसार मानव के स्थूल शरीर के साथ-साथ 6 अन्य सूक्ष्म शरीर भी होते हैं।
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