चौरासी वैष्णवन की वार्ता वाक्य
उच्चारण: [ chauraasi vaisenven ki vaaretaa ]
उदाहरण वाक्य
- इन कवियों का जीवन परिचय चौरासी वैष्णवन की वार्ता तथा दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता में प्राप्त होता है ।
- सूरदास के विषय में आज जो भी ज्ञात है, उसका आधार मुख्यतया ' चौरासी वैष्णवन की वार्ता ' ही है।
- ' चौरासी वैष्णवन की वार्ता ' में सूर का जीवनवृत्त गऊघाट पर हुई वल्लभाचार्य से उनकी भेंट के साथ प्रारम्भ होता है।
- आज हिंदी वह नहीं है जो ‘ चौरासी वैष्णवन की वार्ता ' के ज़माने में थी, न ही वह जो भारतेंदु जी के युग में थी।
- विट्ठलनाथ जी ने अपने शिष्य गोविन्द दुबे को चिट्ठी लिखकर मात्र इसलिये बुला लिया था कि उन्होंने मीरा का आथित्य स्वीकार कर लिया था, यह बात उनकी चौरासी वैष्णवन की वार्ता में मिलती है।
- चौरासी वैष्णवन की वार्ता में सूरदास की जीवनी मथुरा और आगरा के मध्यवर्ती यमुना के किनारे गऊघाट नामक स्थान पर उनके निवास से शुरू होती है, जहां वल्लभाचार्य से उनकी मुलाक़ात होती है.
- डाक्टर धीरेन्द्र वर्मा को ' चौरासी वैष्णवन की वार्ता ' को गोकुलनाथकृत मानने में विशेष आपत्ति नहीं जान पड़ती, किन्तु ' दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता ' को वे गोकुलनाथकृत मानने में झिझकते है।
- ' चौरासी वैष्णवन की वार्ता ' में मूलत: सूरदास की जाति के विषय में कोई उल्लेख नहीं था परन्तु गोसाई हरिराय द्वारा बढ़ाये गये ' वार्ता ' के अंश में उन्हें सारस्वत ब्राह्मण कहा गया है।
- यद्यपि डा॰ वर्मा ने ' चौरासी वैष्णवन की वार्ता ' के गोकुलनाथकृत होने में विशेष सन्देह व्यक्त नहीं किया, पर आचार्य शुक्ल उसे “ गोकुलनाथ के पीछे उनके किसी गुजराती शिष्य की रचना ” मानते हैं।
- ' चौरासी वैष्णवन की वार्ता ' से ज्ञात होता है कि प्रसिद्ध मुग़ल सम्राट् अकबर ने सूरदास से भेंट की थी परन्तु यह आश्चर्य की बात हे कि उस समय के किसी फ़ारसी इतिहासकार ने ' सूरसागर ' के रचयिता महान भक्त कवि सूरदास का कोई उल्लेख नहीं किया।