छांदोग्य उपनिषद वाक्य
उच्चारण: [ chhaanedogay upenised ]
उदाहरण वाक्य
- छांदोग्य उपनिषद [2], जिसमें देवकी पुत्र कृष्ण का उल्लेख है और उन्हें घोर आंगिरस का शिष्य कहा है।
- प्रमुख छांदोग्य उपनिषद (वेदों के दार्शनिक विवेचन के 108 ग्रंथ) में कहा गया हैः “नदियों का जल सागर में मिलता है।
- छांदोग्य उपनिषद के अनुसार आत्मा चार स्तरों में स्वयं के होने का अनुभव करती है-जागृत, स्वप्न, सुषुप्त और तुरीय अवस्था।
- ~ छांदोग्य उपनिषद ख्याति नदी की भाँति अपने उद्गम स्थल पर क्षीण ही रहती है किंदु दूर जाकर विस्तृत हो जाती है।
- उल्लेखनीय है कि उपनिषदों का रचनाकाल भी यजुर्वेद के आसपास ही माना जाता है जबकि छांदोग्य उपनिषद में धात्विक मिश्रण का स्पष्ट वर्णन मिलता है।
- छांदोग्य उपनिषद के चौथे अध् याय के 17 वें खंड में देवकीपुत्र कृष्ण का उल्लेख है और ये थे पांडवों के नातेदार यह अभी कहा है।
- मैत्रायणी उपनिषद सबसे पीछे का उपनिषद कहा जाता है और उसमें छांदोग्य उपनिषद के अवतरण मिलते है, इसलिए छांदोग्य मैत्रीयणी से पूर्व का उपनिषद हुआ ।
- स्वामी कृष्णानंद ने छांदोग्य उपनिषद में आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में नारियल का जो वर्णन किया है, उसके अनुसार कच्चा नारियल कड़े कवच से चिपका रहता है।
- चार स्तर: छांदोग्य उपनिषद (8-7) के अनुसार आत्मा चार स्तरों में स्वयं के होने का अनुभव करती है-(1)जाग्रत (2) स्वप्न (3) सुषुप्ति और (4) तुरीय अवस्था।
- छांदोग्य उपनिषद (8-7) के अनुसार आत्मा चार स्तरों में स्वयं के होने का अनुभव करती है-(1) जाग्र त, (2) स्वप् न, (3) सुषुप्ति और (4) तुरीय अवस्था।