जालौर दुर्ग वाक्य
उच्चारण: [ jaalaur durega ]
उदाहरण वाक्य
- १ ५५ ९ ई ० में मारवाड़ के राठौड़ शासक मालदेव ने आक्रमण कर जालौर दुर्ग को अल्प समय के लिए अपने अधिकार में ले लिया।
- मारवाड़ राज्य के इतिहास में जालौर दुर्ग जहां एक तरफ अपने स्थापत्य के कारण विख्यात रहा है वहीं सामरिक व सैनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा है।
- १ ८ वीं शताब्दी के अंतिम चरण में जब मारवाड़ राज्य के राज सिंहासन के प्रश्न को लेकर महाराजा जसवंत सिंह एंव भीम सिंह के मध्य संघर्ष चल रहा था तब महाराजा मानसिंह वर्षों तक जालौर दुर्ग में रहे।
- स. १ ८ ६ ० में भीमसिंह की मृत्यु हो गयी तब राजपरिवार के जीवित बचे सदस्यों में राजगद्दी का अधिकार मानसिंह का बनता था सो जोधपुर के जिस सेनापति इंद्रराज सिंघवी ने मानसिंह को मारने के लिए जालौर दुर्ग घेर रखा था ने खुद ही दुर्ग में जाकर मानसिंह को भीमसिंह की मृत्यु का समाचार देते हुए उन्हें जोधपुर किले में चलकर शासन सँभालने हेतु आमंत्रित किया |
- शूरवीरों द्वारा रक्षित निर्बल दुर्ग भी अजेय होता है पर निर्बल रक्षकों द्वारा रक्षित सुदृढ़ दुर्ग भी सरलता से ढह जाता है | ऊँटाला दुर्ग और कुम्भलगढ़ को दूर से देखकर ही प्रणाम कर लिया | उन्हें अपना निर्लज्ज, गौरव-रहित और अयोग्य मुंह दिखलाने का साहस नहीं बटोर सका | उलाउद्दीन की सेना के छक्के छुडाने वाले जालौर दुर्ग में प्रवेश कर विरमदेव सोनगरा की गौरवगाथा के चिंतन में निमग्न था कि मरुधराधीश मानसिंह जी का दृढ़ निश्चय सुनाई पड़ा-
- मानसिंह के जालौर किले में जाने के बाद पोकरण के ठाकुर सवाईसिंह ने राजा भीमसिंह को उनके खिलाफ भड़का दिया जिसके परिणाम स्वरूप भीमसिंह ने मानसिंह को मारने के लिए जालौर किले पर चढ़ाई के लिए सेना भेज दी और जोधपुर की सेना के साथ मानसिंह का लगभग बारह वर्ष तक संघर्ष चलता रहा जोधपुर की सेना द्वारा इतने लम्बे समय तक जालौर दुर्ग को घेरने के उपरांत मानसिंह सैनिक समस्या के साथ आर्थिक व खाद्य सामग्री की समस्या से लगातार झुझते रहे |