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जीने की आरज़ू वाक्य

उच्चारण: [ jin ki aarejeu ]

उदाहरण वाक्य

  1. तू ही बता ज़िन्दगी और क्या-क्या दूँ तुम्हें तुम्हें जीने की आरज़ू में पल-पल हम मरते हैं ।
  2. ' ' '' साग़र '' पालमपुरी के सुख़न में ग़मे-वतन की आँच भी है और उदास रूहों में जीने की आरज़ू भर देने की क्षमता भी।
  3. हार गये सारी बाजी, हर कसौटी पर कम निकले अब आरज़ू है, कि किसी तरह बस दम निकले हर तरह की आजमाईश, हमने की हर तरकीब क्या पता था? हमरी कोशिशें उन पर सितम निकलें जीने की आरज़ू नही अब, ख़त्म हो गया...
  4. रूठ के तुम तो चल दिए, अब मैं दुआ तो क्या करूँ जिसने हमें जुदा किया, ऐसे ख़ुदा को क्या करूँ जीने की आरज़ू नहीं, हाल न पूछ चारागर दर्द ही बन गया दवा, अब मैं दवा तो क्या करूँ सुनके मेरी सदा-ए-ग़म, रो दिया आसमान भी-२ तुम तक न जो पहुँच सके, ऐसी सदा को क्या करूँ
  5. रूठ के तुम तो चल दिए, अब मैं दुआ तो क्या करूँ जिसने हमें जुदा किया, ऐसे ख़ुदा को क्या करूँ जीने की आरज़ू नहीं, हाल न पूछ चारागर दर्द ही बन गया दवा, अब मैं दवा तो क्या करूँ सुनके मेरी सदा-ए-ग़म, रो दिया आसमान भी-२ तुम तक न जो पहुँच सके, ऐसी सदा को क्या करूँ
  6. मेरी ज़िन्दगी चले वो सांस हो तुममेरे खवाबो की हकीकत हो तुममेरे तस्सुवर, हर ख़याल में तुममेरी हर दुआ हर इबादत हो तुमखुदा की अनमोल नियामत हो तुम भूल न जाना ऐ हमसफ़र,मेरा वजूद हो तुम मेरी हर ख्वाइश,हर उम्मीद हो तुममेरी हर तमन्ना,हर चाहत हो तुममेरी जीने की आरज़ू,वजह हो तुममेरा हर वादा हर वचन हो तुममेरी हर अदा हर मुस्कान हो तुम भूल न जाना ऐ हमसफ़र,मेरी दुनिया हो तुम
  7. हार गये सारी बाजी, हर कसौटी पर कम निकले अब आरज़ू है, कि किसी तरह बस दम निकले हर तरह की आजमाईश, हमने की हर तरकीब क्या पता था? हमरी कोशिशें उन पर सितम निकलें जीने की आरज़ू नही अब, ख़त्म हो गया जहाँ खुश रहे वो, जब कभी हमारा कफ़न निकलें हो गये तबाह, पर अब गम क्या करें, मिले खुशियाँ उन्हें, जब-जब हमारा सनम निकलें महक बाकि रहेगी ताउम्र, मेरी मोहब्बत की चिता की राख को संभल के रखना, क्या पता वो ' चन्दन ' निकले
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