जीवनानन्द दास वाक्य
उच्चारण: [ jivenaanend daas ]
उदाहरण वाक्य
- जीवनानन्द दास का जन्म 17 फ़रवरी 1893 को बारिशाल, पूर्वी बंगाल में हुआ और निधन 22 अक्तूबर 1954 को कलकत्ता में एक ट्राम दुर्घटना में।
- ाहा फिराक गोरखपुरी आलोक श्रीवास्तव महावीर प्रसाद द्विवेदी पाश फैज अहमद फैज जीवनानन्द दास विचार-विमर्श निलय उपाध्याय विनोद कुमार शुक्ल जाँ निसार अख़्तर सांसद और वेतन
- वैसे अपनी कविता के बारे में जीवनानन्द दास ने काफ़ी खुल कर लिखा है और वे अपनी कविता पर लगे लगभग सभी आरोपों से परिचित भी थे।
- आवारगी एक कोई वनलता सेन है, जो किसी दुर्लभ क्षण में जीवनानन्द दास को मिलती है-इस पथ के दावेदार चरित्रहीन शरत थे-रवीन्द्र नहीं।
- अलबत्ता मैं यहां हिन्दी के वरिष्ठ कवि प्रयाग शुक्ल द्वारा किया गया अनुवाद लगाना चाहता था पर अपनी किताबें खंगाल चुकने पर मुझे अहसास हुआ कि किन्ही सज्जन को जीवनानन्द दास पर ज्ञानपीठ द्वारा छापा गया वह छोटा सा मोनोग्राफ़ ज़्यादा पसन्द आ गया होगा.)
- अलबत्ता मैं यहां हिन्दी के वरिष्ठ कवि प्रयाग शुक्ल द्वारा किया गया अनुवाद लगाना चाहता था पर अपनी किताबें खंगाल चुकने पर मुझे अहसास हुआ कि किन्ही सज्जन को जीवनानन्द दास पर ज्ञानपीठ द्वारा छापा गया वह छोटा सा मोनोग्राफ़ ज़्यादा पसन्द आ गया होगा.)
- जीवनानन्द दास, सुकान्त, भट्टाचार्य, एजरा पाउण्ड, ब्रेष्ट, ताद्युश रोजश्विच, नाजिम हिकमत, अरनेस्तो कादेनाल, निकानोर पार्रा और पाब्लो नेरूदा की कविताओं के अलावा अरुन्धती राय के उपन्यास के गॉड आफ स्माल थिंग्स और लेर्मोन्तोव के उपन्यास हमारे युग का एक नायक का अनुवाद
- एक दिन आठ साल पहले जीवनानन्द दास-सुना चीर फाड़ कर ले गए हैं उसे, कल फागुन की रात के अन्धेरे में जब डूब चुका था पंचमी का चांद तब मरने की उसे हुई थी साध, पत्नी सोई थी पास-शिशु भी था, प्रेम था-आस थी-चांदनी में तब भी कौन सा भूत देख लिया था कि टूट गई थी उसकी नींद? इसी लिए चला आया चीर-फाड़ घर में नींद लेने अब! पर क्या चाही थी उसने यही नींद!