जूण वाक्य
उच्चारण: [ jun ]
उदाहरण वाक्य
- सच के आस-पास हिंदी कविता संग्रह और माटी जूण राजस्थानी उपन्यास के अलावा बाल साहित्य की कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं ।
- जूण महीने की रबड आँकडे जो आगस्ट बोलकर प्रसारित करते हैं वह १६-१०-०९ तक रबड् बोर्ड की सैट में प्रसारित नहीं की हैं।
- मेरा पहला राजस्थानी उपन्यास जूण जातरा पढ़कर उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि छोरे यदि तू ऐसा ही लिखता रहे तो मेरे हिस्से की भी उमर ले ले।
- भीतरी ढांचे और छिवाई के जोड़ों को मजबूती प्रदान करने के लिए बांधी जाने वाली डोरियों कों जूण कहा जाता हैं, जो सिणियों, खींप या फिर मूंज से बनाया जाता हैं।
- इस अवसर पर रचनाकार जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि जब मैं इस कृति “ या बणजारी जूण ' ' का सृजन कर रहा था, उस समय मेरे सामने मेरी पुरूस्कृत कृति ‘‘ उजाले अपनी यादों के ” का भाव-जगत मौजूद था।
- कोटा / 18 नवम्बर 2013 / सहज और गंभीर सृजनकर्म कालजयी कृतियों को जन्म देता है यह वक्तव्य राकेश शर्मा उप वन संरक्षक वन्यजीव, कोटा ने जितेन्द्र निर्मोही की संस्मरण कृति “ या बणजारी जूण ” के लोकार्पण के समय दिया।
- नवनीत पाण्डे राजस्थानी और हिंदी में गद्य और पद्य की दोनों विधाओं में समान गति से लिखते हैं. आपकी ' सच के आस-पास ' हिंदी कविता संग्रह और ' माटी जूण ' राजस्थानी उपन्यास के अलावा बाल साहित्य की भी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.
- भारतीय जनता पार्टी के वरष्ठि नेता, पूर्व केन्द्रिय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष महरिया ने पत्रकार वार्ता में कहा कि केन्द्र व प्रदेष की सरकारों ने किसानों का जीना दूर्भर कर दिया और किसानों को दो जूण का भोजन भी मिलना दूर्भर हो गया हैं।
- अब पता नही आपकी संगत मे क्या क्या बनना पडेगा! शुरु मे ही आपने एक सीधे साधे हरयानवी को भडासी बणाया, फिर उल्लू बणाया, फिर गधा बणाया और अब सीधे ताउ से बापु! अरे यार पंडितजी आप इतनी जल्दी जल्दी मेरा सेक्स परिवर्तन क्यु कर रहे हो? भाइ कुछ भी एक जूण मैं रहण दो यार! इतनी जल्दी जल्दी मे घाव भी नही सुखता!
- विचारक और समीक्षक विजय जोशी ने विषय हाड़ौती अंचल का राजस्थानी गद्य और यह कृति पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि अब तक प्रकाशित गद्य साहित्य के अनुसार प्रेमजी प्रेम की “ रामचन्द्र्या की रामकथा ' ', कमला कमलेश की ‘‘ वां दनां की बातां '', मेरी कृति ‘‘ मंदर मं एक दन '', और जितेन्द्र निर्मोही की ‘‘ या बणजारी जूण ” सामने रखकर इस अंचल के गद्य साहित्य की बात की जा सकती है।