ताण्ड्य ब्राह्मण वाक्य
उच्चारण: [ taanedy beraahemn ]
उदाहरण वाक्य
- इनके संक्षिप्त परिचय इस प्रकार हैं-अग्निष्टोम-ताण्ड्य ब्राह्मण 6 / 3 / 8 और शतपथ ब्राह्मण 10 / 1 / 2 / 9 में अग्निष्टोम का विवरण है ।
- ताण्ड्य ब्राह्मण के अनुसार यज्ञ में अध्वर्यु-प्रमुख ॠत्विक् वैसे ही वहिष्पवमान में प्रसर्पण करते हैं, जैसे अहेरी मृग को पकड़ने के लिए आगे बढ़ता है-मन्द-मन्द गीत से बिना आहट किये।
- १, ताण्ड्य ब्राह्मण १ ३. ३. २ ४, तैत्तिरीय आरण्यक ४. १. १, कात्यायन श्रौतसूत्र ३. २. ८, गृहसूत्र २. १. १ ३, निरुक्त ३.
- यही ' वामदेव्यं ' नामक स्थिति कौशीतकि ब्राह्मण २ ७. २, २ ९. ३-४ के अनुसार शान्तिरूप भेषज कही जाती है और सभी सामों का सत् भी उसी को माना जाता है (ताण्ड्य ब्राह्मण १ ५.
- ब्राह्मण ग्रन्थों में ' प्राणाः वा आपः ' (ताण्ड्य ब्राह्मण ९. ९. ४, तैत्तिरीय ब्राह्मण ३. २. ५. २, जैमिनीय उपनिषद ब्राह्मण ३. २. ५. ९) कहकर इसी ओर बार-बार संकेत किया गया है ।
- अवश्वलायन [13], लाट्यायन[14] एवं कात्यायन[15] के श्रौतसूत्र ताण्ड्य ब्राह्मण एवं अन्य ब्राह्मणों का अनुसरण करते हैं और कई ऐसे तीर्थों का वर्णन करते हैं जहाँ सारस्वत सत्रों का सम्पादन हुआ था, यथा प्लक्ष प्रस्त्रवर्ण (जहाँ से सरस्वती निकलती है), सरस्वती का वैतन्धव-ह्रद; कुरुक्षेत्र में परीण का स्थल, कारपचव देश में बहती यमुना एवं त्रिप्लक्षावहरण का देश।
- अवश्वलायन [9], लाट्यायन [10] एवं कात्यायन [11] के श्रौतसूत्र ताण्ड्य ब्राह्मण एवं अन्य ब्राह्मणों का अनुसरण करते हैं और कई ऐसे तीर्थों का वर्णन करते हैं जहाँ सारस्वत सत्रों का सम्पादन हुआ था, यथा प्लक्ष प्रस्त्रवर्ण (जहाँ से सरस्वती निकलती है), सरस्वती का वैतन्धव-ह्रद ; कुरुक्षेत्र में परीण का स्थल, कारपचव देश में बहती यमुना एवं त्रिप्लक्षावहरण का देश।