दामोदर खडसे वाक्य
उच्चारण: [ daamoder kheds ]
उदाहरण वाक्य
- रामजी तिवारी, डॉ. दामोदर खडसे, प्रो. केशव प्रथमवीर, डॉ. विद्या केशव चिटको, डॉ. इंदिरा शुक्ला आदि.
- समारोह के प्रारंभ में सदस्य सचिव श्री अनुराग चतुर्वेदी तथा कार्याध्यक्ष डॉ दामोदर खडसे ने महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी के कार्यकलापों तथा भावी योजनाओं का परिचय दिया।
- प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. दामोदर खडसे जी ने अपने वक्तव्य में ‘शब्दसृष्टि' के ‘हिंदी-मराठी आदान-प्रदान विशेषांक' को ‘महाविशेषांक' बताते हुए, प्रा. मनोहर व डॉ.
- डॉ. दामोदर खडसे ने कहा कि पिछले 16 वर्षों से हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के लिए कार्यरत हिंदी आंदोलन शहर से खड़ा हुआ सकारात्मक और रचनात्मक आंदोलन है।
- इनमें शामिल हैं-विश्व मंच पर हिंदी (दामोदर खडसे), वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में समकालीन हिंदी कविता (अनुजा बेगम), वैशिवक हिंदी एक परिदृश्य (विजया सती) के आलेख शामिल किए गए हैं।
- इसमें हिंदी के प्रचार-प्रसार और हिंदी प्रशिक्षण में उल्लेखनीय काम के लिए गंगाशरण सिंह पुरस्कार गिरीश कर्नाड, माझुरी छेडा और बल्ली सिंह चीमा, वाई लक्ष्मी प्रसाद, मधुर भंडारकर, दामोदर खडसे और चमनलाल सप्रू को दिया जाएगा।
- प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. दामोदर खडसे जी ने अपने वक्तव्य में ‘ शब्दसृष्टि ' के ‘ हिंदी-मराठी आदान-प्रदान विशेषांक ' को ‘ महाविशेषांक ' बताते हुए, प्रा. मनोहर व डॉ. विजया को उनके अथक परीश्रम के लिये बधाई दी।
- एसएनडीटी महिला विद्यापीठ की पूर्व कुलगुरु डॉ. चंद्रा कृष्णमूर्ति की अध्यक्षता में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डा. दामोदर खडसे ने परिसंवाद का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रवासी साहित्यकारों ने विश्व स्तर पर हिन्दी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
- एसएनडीटी महिला विद्यापीठ की पूर्व कुलगुरु डॉ. चंद्रा कृष्णमूर्ति की अध्यक्षता में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डा. दामोदर खडसे ने परिसंवाद का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रवासी साहित्यकारों ने विश्व स्तर पर हिन्दी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
- दिनांक 25-26 जुलाई 2009 को सर्व भारतीय भाषा सम्मलेन के प्रथम सत्र से लेकर चतुर्थ सत्र तक क्रमश: डॉ.सरोजा भाटे, डॉ.चंद्रकांत बांदिवडेकर, डॉ.मु.ब. शहा एवं डॉ. दामोदर खडसे की अध्यक्षता में सर्व संबंधित भाषा विषयतज्ञ मार्गदर्शक भिन्न-भिन्न भाषाओँ की विशेषता, विकास व योगदान के बारे में मार्गदर्शन करते रहे।