दीपावलि वाक्य
उच्चारण: [ dipaaveli ]
उदाहरण वाक्य
- बिल्कुल सही कहा, बहुत बडा मैसेज दिया है दुनिया को आपने, परम मंगलमय त्यौहार दीपावलि की आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
- मन में हर बार आता था … क्या चोर, भ्रष्टाचारी और अनैतिक लोगों की मंशा भी फलित होती है दीपावलि को?
- हिन् दी ब् लाग जगत के प्रबुद्ध लेखकों, पाठकों एवं उनके परिवारों और मित्रगणों को परम मंगलमय त् यौहार दीपावलि की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
- दीपावलि पर अधिकांश घर में ऐसे ही दृश् य होते हैं.... पर हमारे जैसे कुछ घरों में अवश् य उल् टा दृश् य चलता रहता होगा...
- परिवर्तन समय का नियम है … परिवर्तन होते रेहेंगे … ईश्वर करे स्नेह, प्रेम, संवेदनाओं और रिश्तों की ज़रूरत बनी बनी रहे … किसी बहाने ही सही … प्रकाश पर्व दीपावलि की शुभकामनाएं
- भारत माता विधा दायिनी सुमति, श्वेत्वस्त्राव्रुता देवी सरस्वती आज आपके लिए कुछ कवितायेँ लेकर उपस्थित हूँ.................... माँ, अल्मोड़े में आए थे जब राजर्षि विवेकानंदं, तब मग में मखमल बिछवाया, दीपावलि की विपुल अमंद, बिना पाँवड़े पथ में क्या वे
- भारत माता विधा दायिनी सुमति, श्वेत्वस्त्राव्रुता देवी सरस्वती आज आपके लिए कुछ कवितायेँ लेकर उपस्थित हूँ.................... माँ, अल्मोड़े में आए थे जब राजर्षि विवेकानंदं, तब मग में मखमल बिछवाया, दीपावलि की विपुल अमंद, बिना पाँवड़े पथ में क्या वे...
- वैसे तो हमने जिमिकंद खा लिया है, इसलिए अगले जन्म में छूछूंदर बनने का तो कोई सवाल नहीं है, पर दीपावलि से छठ तक हर छोटी छोटी वस्तुओं की भी जरूरत क्यों पड पड जाती है,इस परंपरा का अर्थ जाने के लिए मैं चिंतन कर रही थी।
- आइए, हम भी इस पावन त् यौहार दीपावलि पर एक संकल् प लें कि हम चुनौतियों से नहीं घबडाएंगे और किसी भी प्रकार के अंधकार को प्रकाश में बदलने के लिए इसी तरह एकजुट हो जाएंगे, जैसा कि हम इस रात्रि को प्रकाशमान करने के लिए करते हैं ।
- करुणा के वश होकर तुम भी गिरि-गिरनार को चुन लेते॥-सौरभ सुमन (जैनमंच.कॉम से उद्धृत) मंगलमय फुलझरियाँ छूटें दीपावलि की सघन अमा में घर आँगन और दिशा दिशा में अंतस की हर गहन गुफ़ा से खुशियों के स्वर फूटें मंगलमय फुलझरियाँ छूटें सजें मुँडेरें दीपदान से हर आँगन हल्दी औ धान से लक्ष्मी चरण चिह्न दरवाज़े सभी अपशकुन टूटें मंगलमय फुलझरियाँ छूटें नव संवत नव लोक नई ऋतु सखा बंधु परिवार मात-पितु सुख समृद्धि सुशोभित जन-गण पुण्य अनगिनत लूटें मंगलमय फुलझरियाँ छूटें-पूर्णिमा वर्मन मेरे दीपक मेरे दीपक मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!