दुष्चक्र में सृष्टा वाक्य
उच्चारण: [ dusechekr men serisetaa ]
उदाहरण वाक्य
- उन्हें २ ०० ४ में उनके कविता संग्रह दुष्चक्र में सृष्टा के लिए साहित्य अकादमी द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।
- दूसरा संकलन ' दुष्चक्र में सृष्टा ' २ ०० २ में आया और इसी वर्ष उन्हें ' शमशेर सम्मान ' भी दिया गया।
- उनकी भगवान् में काफी श्रद्धा है मगर वो भगवान् को मख्खन नहीं लगाते दुष्चक्र में सृष्टा में उनकी इसी नामवाली कविता दरअसल इसी तरह की सोच का नतीजा है।
- वीरेन जी की ये बढ़िया कविता पढ़कर ‘ दुष्चक्र में सृष्टा ' संग्रह की ही एक और कविता याद आ रही है, हालांकि उसके जस के तस शब्द याद नहीं आ रहे हैं.
- दुष्चक्र में सृष्टा कविता को फिर से पढ़ा.... कई बार पढ़ा. पहली पंक्ति में कैसा भोला बालक सा लगता है कवि और आख़िर तक कैसा रुद्र! ऐसा की सृष्टा को भी डरा दे.
- वीरेन डंगवाल की एक कविता दुष्चक्र में सृष्टा कमाल है तुम्हारी कारीगरी का भगवान, क्या-क्या बना दिया, बना दिया क्या से क्या! छिपकली को ही ले लो, कैसे पुरखों की बेटी छत पर उल्टा सरपट भागती छलती तुम्हारे ही बनाए अटूट नियम को।
- इसके पश्चात् उन्होंने हड्डी-खोपडी खतरा निशान, हमारा समाज, दुष्चक्र में सृष्टा, हमारी नींद, कुछ नई कसमें, मानवीयकरण, क्या कीजिए, दिखाओ अपनी दो चोटियों वाली तस्वीर लोरी बेकर जैसी कविताओं को सुना कर लोगों को अभिभूत कर दिया।
- वीरेन डंगवाल की एक और कविता उनके दूसरे संग्रह दुष्चक्र में सृष्टा से: तू तभी अकेला है जो बात न ये समझेहैं लोग करोड़ों इसी देश में तुझ जैसेधरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधेदाना पानी देती है वह कल्याणी हैगुटरूं-गूं कबूतरों की, नारियल का जलपहिये की गति, कपास के हृदय का पानी हैतू यही सोचना शुरू करे तो बात बनेपीड़ा की कठिन अर्गला को तोड़ें कैसे!