देवगिरि के यादव वाक्य
उच्चारण: [ devegairi k yaadev ]
उदाहरण वाक्य
- वक्ताओं ने यह भी बताया कि यादव वंश के अनेक राजाओं ने पृथ्वी पर शासन किया है चाहे देवगिरि के यादव राजा हों या गुजरात आदि के।
- 37 वर्ष के अपने शासन काल में उसने चारों दिशाओं में बहुत से युद्ध किए, और देवगिरि के यादव राज्य को उन्नति की चरम सीमा पर पहुँचा दिया।
- देवगिरि के यादव दक्षिण-पूर्व तेलंगाना के काकतीय और द्वारसमुद्र के होयसल अलाउद्दीन द्वारा दक्षिण भारत के राज्यों को जीतने के उद्देश्य के पीछे धन की चाह एवं विजय की लालसा थी।
- सबसे प्रसिद्ध कमांडरों में से एक रुद्रमा देवी और प्रतापरुद्र द्वितीय के समय के दौरान दादी नागदेव थे जिन्होंने देवगिरि के यादव राजा के हमले को रोकने में मुख्य भूमिका निभाई.
- ११९० ई. के बाद जब कल्याण के चालुक्यों का साम्राज्य टूटकर बिखर गया तब उसके एक भाग के स्वामी वारंगल के काकतीय हुए; दूसरे के द्वारसमुद्र के होएसल, और तीसरे के देवगिरि के यादव ।
- उनके अतिरिक्त देवगिरि के यादव, वारंगल के काकतीय, कोंकण के शिलाहार, बनवासी के कदम्ब, तलकाड़ के गंग और द्वारसमुद्र के होयसल वंशों ने भी इस युग में दक्षिणापथ के विविध प्रदेशों पर शासन किया।
- ११ ९ ० ई. के बाद जब कल्याण के चालुक्यों का साम्राज्य टूटकर बिखर गया तब उसके एक भाग के स्वामी वारंगल के काकतीय हुए ; दूसरे के द्वारसमुद्र के होएसल, और तीसरे के देवगिरि के यादव ।
- का उत्तरार्ध) जिन्होंने भागवत से संबद्ध “हरिलीलामृत”, “मुक्ताफल” तथा “परमहंसप्रिया” का प्रणयन किया तथा जिनके आश्रयदाता, देवगिरि के यादव राजा महादेव (सन् 1260-71) तथा राजा रामचंद्र (सन् 1271-1309) के करणाधिपति तथा मंत्री, प्रख्यात धर्मशास्त्री हेमाद्रि ने अपने “चतुर्वर्गं चिंतामणि” में भागवत के अनेक वचन उधृत किए हैं भागवत के रचयिता नहीं माने जा सकते।
- का उत्तरार्ध) जिन्होंने भागवत से संबद्ध 'हरिलीलामृत', 'मुक्ताफल' तथा 'परमहंसप्रिया' का प्रणयन किया तथा जिनके आश्रयदाता, देवगिरि के यादव राजा महादेव (सन् 1260-71) तथा राजा रामचंद्र (सन् 1271-1309) के करणाधिपति तथा मंत्री, प्रख्यात धर्मशास्त्री हेमाद्रि ने अपने 'चतुर्वर्गं चिंतामणि' में भागवत के अनेक वचन उधृत किए हैं भागवत के रचयिता नहीं माने जा सकते।
- का उत्तरार्ध) जिन्होंने भागवत से संबद्ध “ हरिलीलामृत ”, “ मुक्ताफल ” तथा “ परमहंसप्रिया ” का प्रणयन किया तथा जिनके आश्रयदाता, देवगिरि के यादव राजा महादेव (सन् 1260-71) तथा राजा रामचंद्र (सन् 1271-1309) के करणाधिपति तथा मंत्री, प्रख्यात धर्मशास्त्री हेमाद्रि ने अपने “ चतुर्वर्गं चिंतामणि ” में भागवत के अनेक वचन उधृत किए हैं भागवत के रचयिता नहीं माने जा सकते।