देवरानी जेठानी की कहानी वाक्य
उच्चारण: [ deveraani jethaani ki khaani ]
उदाहरण वाक्य
- भोर की ख़ुमार भरी नींद तोड़ने के लिए ' देवरानी जेठानी की कहानी ‘ और भाग्यवती सरीखी-रचनाओं को निश्शंक भाव से प्रभात फेरियों का दर्जा दिया जा सकता है।
- (हिन् दी का पहला उपन् यास ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' (1870) है अथवा ‘ परीक्षागुरु ' (1882), इस पर विद्वानों में मतभेद है।
- अगर नामवर सिंह की इस अवधारणा को हम स्वीकार कर लें तो हिंदी के समस्त आरंभिक उपन्यास जैसे भाग्यवती, परीक्षा गुरु, वामारक्षक, निस्सहाय हिंदू या देवरानी जेठानी की कहानी एक झटके में खारिज हो जाएंगे।
- प्रथम गद्य रचना ' देवरानी जेठानी की कहानी ‘ से स्पष्ट है कि अशिक्षिता और मूर्ख महिलाएँ परिवार के जीवन को अत्यन्त दुःखद और शिक्षित महिलाएँ नरक तुल्यघर को स्वर्ग जैसा सुखद बना देती हैं।
- स्त्री विमर्श को मात्र फैशन या विदेश की नकल मानने वाले इतना तो जरूर जानते होंगे कि हिंदी कथा साहित्य के जन्म का कारण भी स्त्री विमर्श था | पंडित गौरीदत्त द्वारा रचित हिन्दी का पहला उपन्यास ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' [१ ८८ ७] इसका उदाहरण और हिन्दी की पहली कहानी लेखिका ‘
- हिन् दी उपन् यास कोश (1870-1980) के कोशकारों संतोष गोयल, उषा कस् तूरिया और उमेश माथुर ने भी ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' को हिन् दी का पहला उपन् यास मानते हुए अपने कोश की शुरुआत ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' के प्रकाशन वर्ष सन् 1870 ई से ही की है।
- हिन् दी उपन् यास कोश (1870-1980) के कोशकारों संतोष गोयल, उषा कस् तूरिया और उमेश माथुर ने भी ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' को हिन् दी का पहला उपन् यास मानते हुए अपने कोश की शुरुआत ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' के प्रकाशन वर्ष सन् 1870 ई से ही की है।
- इस तरह यह उपन्यास हमारी हिन्दी भाषा के लिए एक अनमोल धरोहर है | जिसको पढ़ कर उस वक्त के समय को समझा जा सकता है | अपने कथ्य और अभिव्यक्ति दोनों दृष्टियों से देवरानी जेठानी की कहानी हिन्दी का प्रथम गौरव पूर्ण कृति ही नहीं है वरन यह हिन्दी उपन्यास के इतिहास में अपना दुबारा मूल्यांकन भी मांगती है |
- जहॉं डॉ नगेन् द्र और डॉ निर्मला जैन सरीखे विद्वानों ने लाला श्रीनिवासदास के ‘ परीक्षागुरु ' को हिन् दी का पहला मौलिक उपन् यास माना है, वहीं डॉ गोपाल राय व डॉ पुष् पपाल सिंह आदि ने पं गौरीदत् त रचित ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' को हिन् दी का पहला उपन् यास होने का गौरव प्रदान किया है।
- हिन्दी का प्रथम उपन्यास है देवरानी जेठानी की कहानी ” यह लिखा हुआ पंडित गौरी दत्त जी के द्बारा | इस उपन्यास को न केवल अपने अपने प्रकाशक वर्ष १ ८ ७ ० वरन अपनी लिखे जाने के लिहाज से भी पंडित गौरीदत्त की कृति देवरानी जेठानी की कहानी को हिन्दी का पहला उपन्यास होने का श्रेय जाता है | इस में लिखा इतना बढ़िया है कि उस समय का पूरा समाज ही ध्वनित होता है.