द्रेष्काण वाक्य
उच्चारण: [ deresekaan ]
उदाहरण वाक्य
- इसी चित्र से आप द्रेष्काण कुंडली का फल कहने में समर्थ हो सकेंगे-
- द्रेष्काण मातृ सौख्यम में शनि-मंगल का दृष्टि संबंध हो तो भाई को नुकसान देगा।
- इसका विशेष फल पध्य द्रेष्काण अर्थात 10 अंश से 20 अंश के मध्य मिलेगा।
- इसके पश्चात वक्रीय होकर इस द्रेष्काण में आएगा, तब इसका फल सामान्य ही रहेगा।
- प्रत्येक राशि के प्रथम 10 अंश से अधिक एवं 20 अंश तक द्वितीय द्रेष्काण होता है।
- प्रत्येक राशि के प्रथम 20 अंश से अधिक एवं 30 अंश तक तृतीय द्रेष्काण होता है।
- तृतीय द्रेष्काण में जन्म लेने वाला जातक मुंहफट, क्रोधी, अभिमानी तथा उनमें धैर्य की कमी होती है।
- 1. सर्वप्रथम तीनों द्रेष्काण का फल बताते हैं जिससे आप अपनी कल्पना में तीनों का चित्र खींच लें।
- मीन राशि से नवम राशि वृश्चिक राशि होती है तो शनि द्रेष्काण कुण्डली में वृश्चिक राशि में लिखे जाएंगें. &
- पंचम तथा नवम लग्न के द्रेष्काण में पापग्रह हो तो जातक क्रमशः पैर, मस्तक और हाथ से रहित रहता है।