द्वा सुपर्णा वाक्य
उच्चारण: [ devaa supernaa ]
उदाहरण वाक्य
- जहां तक काव् य की बात है तो शुरूआत ही ' मा निषा द... ' के पक्षियों से होती है और ' द्वा सुपर्णा... ' के स् तर तक पहुंचती है.
- द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया-इस वैदिक उद्गान में दार्शनिक मन्तव्य से अलग व्यावहारिक अवधारणा यह भी है कि सोने के पंख वाले, स्वभाव से किंचित् भिन्न दो पक्षी एक डाल पर आत्मीय होकर रह सकते हैं।
- द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं [ऋग्वेद] यहाँ पर हर शब्द एक वचन का बोध कराता है यानि एक शरीर में दो प्रकार के गुण वाला परमात्मा रहता है जो एक ही है भिन्न भिन्न यानि दो नहीं अथवा यही आत्मा भी है.
- कह सकते हैं कि एकान्त ' भोक्ता ' कम से कम दर्द के मामले में अभी तक नहीं हुआ: पर्यवेक्षक या विश्लेषक चित्त हमेशा जागता रहा है और देखता रहा है कि क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है, जो भोगा जा रहा है वह कैसे भोगा जा रहा है... (द्वा सुपर्णा...)