नन्द प्रयाग वाक्य
उच्चारण: [ nend peryaaga ]
उदाहरण वाक्य
- हरिद्वार से ऋषिकेश होते हुए देव प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग और नन्द प्रयाग के दुर्गम पहाडों और घाटियों के उतार-चढावों को लांघते हुए सर्पीली सड़कों में लुढकते, बलखाते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे.
- हरिद्वार से ऋषिकेश होते हुए देव प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग और नन्द प्रयाग के दुर्गम पहाडों और घाटियों के उतार-चढावों को लांघते हुए सर्पीली सड़कों में लुढकते, बलखाते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे.
- आज यात्रा पर आने वाला या इस मार्ग पर जाने वाले जानकार अधिकांश आदमी जोशीमठ, नन्द प्रयाग, कर्णप्रयाग, गोचर, रूद्रप्रयाग, श्रीनगर, कीर्तिनगर, देवप्रयाग व व्यासी में कहीं इतना अच्छा, सस्ता, पहाड़ी खाद्यानों का भरपेट उचित खाना नहीं मिलता है।
- अलकनंदा एक धरा के रूप में प्रगट हो कर श्री बद्री नाथ के चरणों से होती हुई आगे बदती और ढोली गंगा का उस में समागम विष्णु प्रयाग के रूप से जाना गया नंदाकिनी नदी का पवन सफ़र में अलकनंदा नदी में समागम नन्द प्रयाग के रूप में प्रसिद्द हुआ
- हरिद्वार से ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर (ऋषिकेश से 70 किमी पर देवप्रयाग, देवप्रयाग से 34 किमी श्रीनगर, श्रीनगर 19 किमी रूद्रप्रयाग, रूद्रप्रयाग से 52 किमी नन्द प्रयाग, नन्द प्रयाग से 21 किमी चमोली, चमोली से 33 किमी जोशीमठ, 19 किमी गोविन्द घाट) बदरीनाथ धाम से 23 किमी पहले गोविन्द घाट स्थित है।
- हरिद्वार से ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर (ऋषिकेश से 70 किमी पर देवप्रयाग, देवप्रयाग से 34 किमी श्रीनगर, श्रीनगर 19 किमी रूद्रप्रयाग, रूद्रप्रयाग से 52 किमी नन्द प्रयाग, नन्द प्रयाग से 21 किमी चमोली, चमोली से 33 किमी जोशीमठ, 19 किमी गोविन्द घाट) बदरीनाथ धाम से 23 किमी पहले गोविन्द घाट स्थित है।
- (ख) हमारे शास्त्रों एवं लोक-संस्कृति दोनों के अनुसार ब्रह्माजी के कमण्डलु से, शिवजी की जटाओं से होती हुई भगीरथ जी के रथ के पीछे चली धारा भागीरथी, विष्णुपदी होने से बद्रीविशाल के चरणों को छूती धारा अलकनंदा, अलकनंदा पर स्थित पंचप्रयाग (विष्णु प्रयाग, नन्द प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग तथा देव प्रयाग) तथा इन प्रयागों पर मिलने वाली गंगाजी की प्रमुख धाराएं (क्रमशः धौली (विष्णु) गंगा, नंदाकिनी, पिण्डर, मंदाकिनी तथा भागीरथी) ये सभी अत्यन्त महत्वपूर्ण पुण्य स्थल / धाराएं हैं।