नरेश कुमार शाद वाक्य
उच्चारण: [ neresh kumaar shaad ]
उदाहरण वाक्य
- मैंने सरूर महसूस होते ही उन लोगों को अपने मित्र नरेश कुमार शाद का शेर सुनाया ः शाद वो लोग मय नहीं पीते जो बग़र्ज़े सरूर पीते हैं हम तो पीते हैं अपने अश् कों को जामे मय तो हुज़ूर पीते हैं।
- आज उर्दू ग़ज़ल अत्यंत संवेदनात्मक दौर में है, क्योंकि यह शो-बॉक्स की न होकर स्वच्छंद अभिव्यक्ति के रुप में सामने आ चुकी है, जिसका श्रेय नरेश कुमार शाद, जगन्नाथ आजाद, वशीर बद्र, निदा फाज़ली, शहरयार आदि को जाता है ।
- नरेश कुमार शाद ने आम मुलाकातियों की तरह एक रसमी सवाल किया, आप कब और कहाँ पैदा हुए? तो साहिर ने उक्त सवाल को दोहराते हुए और थोड़ा सा मुस्कराते हुए कहा, ये सवाल तो बहुत रसमी है, कुछ इसमें और जोड़ दो यार।
- ‘ ' नरेश कुमार शाद आजकल के नौजवान शायरों से एक दम भिन्न हैं, वे दिल के तकाजों से मजबूर होकर शेर लिखते हैं, सोच समझ के शेर कहते हैं … इसी कारण उनके शेरों में प्रभाव और प्रभाव में वह विशेषता होती है जो शब्दों के बंधन में नहीं आ सकती '' ।
- नरेश कुमार शाद साब ने लिखा है तू मेरे गम में ना हँसती हुवी आँखों को रुला में तो मर मर के भी जी सकता हूँ मेरा क्या है दर्दे दिल की खलीष मेरे ही सीने में रहने देतू तो आँखों से भी रो सकता है तेरा क्या है एक बड़े शायर का कलाम आपकी नज़्म को समर्पित