नासिकेतोपाख्यान वाक्य
उच्चारण: [ naasiketopaakheyaan ]
उदाहरण वाक्य
- इस कॉलेज के दो विद्वानों लल्लूलाल जी तथा सदल मिश्र ने गिलक्राइस्ट के निर्देशन में क्रमशः प्रेमसागर तथा नासिकेतोपाख्यान नामक पुस्तकें तैयार कीं.
- इन लेखों में लल्लू लाल की रचना ‘ प्रेमसागर ' और सदल मिश्र की रचना ‘ चन्द्रावती ' या ‘ नासिकेतोपाख्यान ' विशेष महत्त्वपूर्ण है।
- इस समय प्रेम सागर, नासिकेतोपाख्यान, इंशा अल्ला की रानी केतकी की कहानी आदि रचनाओं ने अपने को प्रारम्भिक कहानी के रूप में स्थापित किया।
- नासिकेतोपाख्यान या चन्द्रावती (1803 ई.), रामचरित (1806 ई.), फूलन्ह के बिछाने, सोनम के थम्भ, चहुँदिसि, बरते थे, बाजने लगा, काँदती है (रोने के अर्थ में), गाँछों (वृक्ष के अर्थ में)
- अब संवत १ ८ ६ ० में नासिकेतोपाख्यान को कि, जिसमें चन्द्रावती की कथा कही है, देववाणी से कोई कोई समझ नहीं सकता, इसलिये खड़ी बोली में किया।
- की। इस क्रम में दो पुस्तके आईं-लल्लूलाल जी-प्रेमसागर सदल मिश्र-नासिकेतोपाख्यान इन प्रारंभिक प्रयत्नों के बावजूद हिन्दी गद्य की अखण्ड परंपरा सन् 1857 के बाद ही चल पाती है।
- किसी अवांतर काल में इस आख्यान का विकास नासिकेतोपाख्यान के रूप में हुआ जिसमें मूल वैदिक कथा का विशेष परिवर्तन लक्षित होता है, इसके लघुपाठवाले आख्यान का सदल मिश्र ने हिंदी गद्य में अनुवाद किया था।
- किसी अवांतर काल में इस आख्यान का विकास नासिकेतोपाख्यान के रूप में हुआ जिसमें मूल वैदिक कथा का विशेष परिवर्तन लक्षित होता है, इसके लघुपाठवाले आख्यान का सदल मिश्र ने हिंदी गद्य में अनुवाद किया था।
- खड़ी बोली गद्य के आरम्भिक रचनाकारों में फ़ोर्ट विलियम कॉलेज के बाहर दो रचनाकारों-सदासुख लाल ' नियाज ' (सुखसागर) व इंशा अल्ला ख़ाँ (रानी केतकी की कहानी) तथा फ़ोर्ट विलियम कॉलेज, कलकत्ता के दो भाषा मुंशियों-लल्लू लालजी (प्रेम सागर) व सदल मिश्र (नासिकेतोपाख्यान) के नाम उल्लेखनीय हैं।