पंवरिया वाक्य
उच्चारण: [ penveriyaa ]
उदाहरण वाक्य
- पंवारा गाने वाली पंवरिया और नाथ संप्रदाय से जुड़े जोगी मूलतः दलित रहे होंगे जो बाद में धर्म परिवर्तन के बाद मुसलिम बने ।
- इसके बारे में मंदिर के महंत भारतनन्द का कहना है कि रोहिणी नंदन बलराम को राजाबली और उनके अंगरक्षक को पंवरिया कहा जाता है. नेशनल
- नगर के हथिसार मुहल्ला, पंवरिया टोला, जमालपुर, बेलवा मीरगंज, फुलवारी दरबार, रामधाम पोखरा, नौका टोला, मिस्कारी मुहल्ला, कसेरा टोली और कुरैशी मुहल्ला के ताजिये तिलक चौक पहुंचे।
- फरी नृत्य, जांघिया नृत्य, पंवरिया नृत्य, कहरवा, जोगिरा, निर्गुन, कजरी, सोहर, चइता गायन उत्तर प्रदेश की लोकसंस्कृतियां हैं ।
- पंवरिया (पौवरिया) नृत्य एवं गायकी मुस्लिम समुदाय के एक खास वर्ग द्वारा हिन्दुओं के यहां बेटे की पैदाइश पर बधाई देने के लिए प्रस्तुत किया जाता है ।
- लोकरंग-2010 ' में पंवरिया, पखावज, हुड़का और अहिरऊ नृत्य, छत्तीसगढ़ी लोकगीत, बुन्देलखण्डी अचरी, बृजवासी, ईसुरी फाग एवं आल्हा गायकी को स्थान दिया गया है ।
- उच्च वर्ग के लोग श्रम से विरत थे इसलिए उनके जातीय नृत्य देखने को नहीं मिलते जबकि हुड़का, पखावज, पंवरिया, अहिरऊ, कछवाऊ नृत्य आज भी देखने को मिल जाते हैं ।
- पमरिया (पंवरिया) और जोगी परंपरायें ऐसी ही संस्कृति के अभिन्न हिस्से हैं जहां दलित हिन्दू, मुसलमान बनने के बाद भी अपनी पूर्व परंपरा से मुक्त नहीं हो पाया है और एकाकार संस्कृति को जिंदा रखे हुए है ।
- ` लोकरंग 2009 में जोगिरा, कबीर, निर्गुण, कजरी, कहरवा, बिरहा, चइता गायकी, पंवरिया, कहरवा, जांघिया नृत्य, खंजड़ी और एकतारा वादन को आम जनता के सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है ।
- अब ज़रा यहां गौर करें-' बाँझ गाय बाभन को दान, हरगंगे!/ मन ही मन खुश है जजमान, हरगंगे!...उसर बंज़र औ शमसान हरगंगे!/ संत बिनोवा पावें दान, हरगंगे!' पीछे हमारे बचपन में पंवरिया नाम की घुमंतू जाति के लोग आया करते थे.