पत्थर की बैंच वाक्य
उच्चारण: [ petther ki bainech ]
उदाहरण वाक्य
- चन्द्रकान्त देवताले जी की प्रमुख कृतियों में लकड़बग्घा हँस रहा है (१९७०), हड्डियों में छिपा ज्वर(१९७३), दीवारों पर ख़ून से (१९७५), रोशनी के मैदान की तरफ़ (१९८२), भूखण्ड तप रहा है (१९८२), आग हर चीज में बताई गई थी (१९८७) और पत्थर की बैंच (१९९६) शामिल हैं।
- प्रेम चंद जी ने देवताले जी के बारे में विस्तृत जानकारी दी... आभार...!! उनका काव्य संग्रह ' पत्थर की बैंच ' मेरे पास है अन्य की जानकारी यहाँ मिली ' पत्थर फेंक रहा हूँ ' पढने की इच्छा है देखती पुस्तकालय में उपलब्ध है या नहीं....
- देवताले जी की प्रमुख कृतियाँ हैं-हड्डियों में छिपा ज्वर, दीवारों पर खून से, लकड़बग्घा हँस रहा है, रोशनी के मैदान की तरफ़, भूखंड तप रहा है, हर चीज़ आग में बताई गई थी, पत्थर की बैंच, इतनी पत्थर रोशनी, उजाड़ में संग्रहालय आदि।
- हालाँकि इसाई कब्र में रखते शरीर की छवि में मुझे वह दाह संस्कार वाली “यही अंत है, धूल में मिल गया सब फ़िर से” जैसी बात कम लगती है पर यहाँ भी मुझे किसी प्रियजन की मृत्यु पर साथ रहने का मौका नहीं मिला.ओम जी ने अपने आलेख में लिखा है, “हम चिता की बगल में एक पत्थर की बैंच पर बैठे हुए थे.
- चन्द्रकान्त देवताले जी की प्रमुख कृतियों में लकड़बग्घा हँस रहा है (१ ९ ७ ०), हड्डियों में छिपा ज्वर (१ ९ ७ ३), दीवारों पर ख़ून से (१ ९ ७ ५), रोशनी के मैदान की तरफ़ (१ ९ ८ २), भूखण्ड तप रहा है (१ ९ ८ २), आग हर चीज में बताई गई थी (१ ९ ८ ७) और पत्थर की बैंच (१ ९९ ६) शामिल हैं।