पदुमलाल पन्नालाल बख्शी वाक्य
उच्चारण: [ pedumelaal pennaalaal bekheshi ]
उदाहरण वाक्य
- पदुमलाल पन्नालाल बख्शी ने अध्यापन, संपादन लेखन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए।
- डॉ. पदुमलाल पन्नालाल बख्शी का जन्म राजनांदगांव के एक छोटे से कस्बे खैरागढ़ में 27 मई 1894 में हुआ।
- (पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की “ घनाक्षरी ”, अप्रैल 1931 में “ प्रेमा ” में प्रकाशित)
- डॉ. पदुमलाल पन्नालाल बख्शी का जन्म राजनांदगांव के एक छोटे से कस्बे खैरागढ़ में 27 मई 1894 में हुआ।
- पदुमलाल पन्नालाल बख्शी-कविता कोश-हिन्दी कविताएँ, ग़ज़ल, नज़्म, शायरी, उर्दु शेर, काव्य, अनुवाद, कविता, लोकगीत, कवि,
- उस वक्त के सरस्वती पत्रिका के संपादक पदुमलाल पन्नालाल बख्शी ने लिखा था-वह चंद्रकांता का युग था ।
- दो-चार / पदुमलाल पन्नालाल बख्शी-कविता कोश-हिन्दी कविताएँ, ग़ज़ल, नज़्म, शायरी, उर्दु शेर, काव्य, अनुवाद, कविता, लोकगीत, कवि,
- सन् 1920 में द्विवेदी जी ने पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की संपादन क्षमता को नया आयाम देते हुए इन्हें ‘सरस्वती ' का सहा. संपादक नियुक्त किया ।
- प्रमुख वक्ता अशोक सिंघई नें अपने सरस वक्तव्य मे कहा कि भाषा जोडती है तोडती नहीं उंहोने हिन्दी लेखक पदुमलाल पन्नालाल बख्शी का उदाहरण देते हुए कहा कि बख्शी जी वंदनीय छत्तीसगढिया हैं ।
- प्रारंभ से ही प्रखर पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की प्रतिभा को खैरागढ के ही इतिहासकार लाल प्रद्युम्न सिंह जी ने समझा एवं बख्शी जी को साहित्य सृजन के लिए प्रोत्साहित किया और यहीं से साहित्य की अविरल धारा बह निकली।