पेन्ड्रा वाक्य
उच्चारण: [ penedraa ]
उदाहरण वाक्य
- सोन का वास्तविक उद्गम, छत्तीसगढ़ के पेन्ड्रा के पास सोन बचरवार में मौके पर स्पष्ट है ही, स्तरीय अध्ययनों तथा सर्वे आफ इण्डिया के प्रामाणिक नक्शे में भी इसका तथ्यात्मक विवरण उपलब्ध है।
- प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि श्री रमेश नैयर जी ने गुरूदेव रविन्द्रनाथ ठाकुर के छ. ग. स्थित पेन्ड्रा से गहरा नाता रहा है उन्होने गुरूदेव को विलक्षण प्रतिभा का साहित्यकार एवं नोवल पुरूस्कार के योग्य सही ठहराया ।
- अंग्रेज लेखक फोरसिथ द्वारा लिखित पुस्तक हाइलैंड्स ऑफ इंडिया में वर्णन है कि वर्ष 1890-1900 के बीच अमरकंटक, बेलगहना, पेन्ड्रा, रतनपुर से लाफागढ़, सरगुजा तक हाथियों के कई समूह देखे गए।
- इसी तरह चम्बल नदी मध्यप्रदेश के बड़े शहर इन्दौर के नजदीक महू के पश्चिम में स्थित उच्च् भूमि से बेतवा नदी भोपाल के दक्षिण पठार से और सोन नदी नर्मदा के उद्गम से कुछ दूर स्थित पेन्ड्रा से निकलकर मध्यप्रदेश को हरा-भरा बनाती है ।
- इसी तरह अलीराजपुर के ही डूब प्रभावित गांव सकरजा के पुनर्वासित स्थल बड़ौदा के हरेश्वर में बसाये गये अमरसिंह दलिया, उदयसिंह और बड़वानी के पेन्ड्रा के माधव झेहता जो बड़ौदा के सांपा में हैं, को भी अपने मुकाम से दूसरा विस्थापन झेलना पड़ रहा है।
- तब से बीसवीं सदी के आरंभ तक रायपुर, चन्दखुरी, मुंगेली, पेन्ड्रा रोड, चांपा, धमतरी और जशपुर अंचल में मेथोडिस्ट एपिस्कॉपल मिशन, इवेन्जेलिकल मिशन, लुथेरन चर्च के संस्थापकों रेवरेन्ड एम डी एडम्स, रेवरेन्ड जी डब्ल्यू जैक्सन, रेवरेन्ड एन मैड् सन आदि का नाम मिलता है।
- नन्दलाल दुबे का चेले और पेन्ड्रा राज के राजकुमार के गुरु सप्रे जी हमारे छत्तीसगढ के शान है आपने सप्रे जी की कहानी को अपने चिठ्ठे मे डाल कर हमारा मान बढाया है हिन्दी साहित्य से प्रेम रखने वालो को इसे अवश्य पढना चाहिये इसे सुलभ बनाया उसके लिये धन्यवाद! सन्जीत जी लिखते रहे...
- अमितोष मिश्रा 20 मई 1981 को पेन्ड्रा (छत्तीसगढ़) में जन्मे अमितोष मिश्रा ने रायपुर से बी.ई.(सूचना प्रौधोगिकी) तथा पोलीटेकनिक कॉलेज अम्बिकापुर से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और वर्तमान में मुंबई में एक फ्रेंच मल्टी नेशनल कंपनी में सॉफ्टवेर इंजिनियर के पद पर कार्यरत है| लेखन मुख्यतः ग़ज़लों में उनकी विशेष रूचि है| ये अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं और अपना एक ब्लाग
- लीला-नाटकों के पेन्ड्रा, रतनपुर, सारंगढ़, किकिरदा, मल्दा, बलौदा, राजिम, कवर्धा, बेमेतरा, राहौद, कोसा जैसे बहुतेरे केन्द्र थे, लेकिन पंडित शुकलाल पाण्डेय के ' छत्तीसगढ़ गौरव ' की उक्त पंक्तियों से छत्तीसगढ़ के तत्कालीन तीन प्रमुख रंगमंचों-नरियरा की कृष्णलीला, अकलतरा की रामलीला और शिवरीनारायण (तीनों स्थान वर्तमान जांजगीर-चांपा जिला में) के नाटक की प्रसिद्धि का सहज अनुमान होता है।
- 20 मई 1981 को पेन्ड्रा (छत्तीसगढ़) में जन्मे अमितोष मिश्रा ने रायपुर से बी. ई. (सूचना प्रौधोगिकी) तथा पोलीटेकनिक कॉलेज अम्बिकापुर से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और वर्तमान में मुंबई में एक फ्रेंच मल्टी नेशनल कंपनी में सॉफ्टवेर इंजिनियर के पद पर कार्यरत है | लेखन मुख्यतः ग़ज़लों में उनकी विशेष रूचि है | ये अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं और अपना एक ब्लाग “ Amitosh The Shayar ” चलाते हैं।