प्रवचनसार वाक्य
उच्चारण: [ pervechensaar ]
उदाहरण वाक्य
- ‘ षट्खंडागम ' के आधार से रचित आचार्य कुन्दकुन्द के ‘ पंचास्तिकाय ', ‘ प्रवचनसार ' आदि आर्ष ग्रन्थों में भी [...]
- ' षट्खंडागम ' के आधार से रचित आचार्य कुन्दकुन्द के ' पंचास्तिकाय ', ' प्रवचनसार ' आदि आर्ष ग्रन्थों में भी उनके कुछ और अधिक उद्गमबीज मिलते हैं।
- उन्होंने प्रवचनसार में जैन श्रमणों के मूलगुण इस प्रकार बतलाए हैं-पाँच महाव्रत, पाँच समिति, पाँच इन्द्रियों का निरोध, केशलोंच, षट् आवश्यक क्रियाएँ-आचेलक्य (नग्नता), अस्नान, क्षितिशयन, अदन्तधावन, स्थिति भोजन और एक भुक्ति (एकासन) जैन श्रमणों के अट् ठाईस मूलगुण जिनेन्द्र भगवान ने कहे हैं।