बंद दरवाज़ा वाक्य
उच्चारण: [ bend dervaaja ]
उदाहरण वाक्य
- आपकी कविता ने तो चित्र ही खींच दिया जैसे...वो नीला पुलोवर...वो बंद दरवाज़ा...एक दबी हुई खिलखिलाहट.... एक और उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई।
- बीती रात बासी बासी, पड़ी है सिरहाने, बंद दरवाज़ा देखे, लौटी है सुबह ठंडी है अंगीठी सीली, सीली हैं दीवारें गूंजे टकरा के इनमे, दिल की सदा...
- इन्होंने कई हॉरर फिल्में की जैसे की पुराना मंदिर, बंद दरवाज़ा, सामरी और साथ ही यह ज़ी हॉरर शो के एपिसोड तावीज़ में भी दिख चुके हैं।
- शाम के साढ़े पाँच बजे खुलने वाला यह कालिज हम जैसों के लिए वरदान था, उन्नति का बंद दरवाज़ा खोलने की कुंजी था, बिगड़ी तक़दीर बनाने की तदबीर था।
- मैं अभी कमरे में हूं अब से दो दिन बाद मैं देखूंगा इसे केवल बाहर से तुम्हारे कमरे का वह बंद दरवाज़ा जहां हमने सिर्फ़ एक-दूसरे से प्यार किया, पूरी मनुष्यता से नहीं
- ये बंद दरवाज़ा देख-देख कर कोफ़्त होती है...ऐसे कैसे लोग सारा दिन दरवाजे बंद कर के बैठ सकते हैं. नीचे आते जाते देखा था...सारे फ्लैट्स के दरवाजे बंद रहते हैं...और उन बंद दरवाजों के पीछे एक सारा संसार होता होगा.
- मैं कहूंगा किस झोंक में उड़ी आती हो, अनजाने शहर की तंग गली का आख़िरी बंद दरवाज़ा हूं, गरदन के रोओं और चमकते बालों पर रहम करो लौट जाओ, तुम कहोगी बरसाती अंधेरिया रात में फटे पाल की नाव होगी तो क्या गरीब की कहानी न होगी, सफ़र को रवानी?
- ), लू भले नहीं चल रही, मगर समूचा दिन धू-घू जलता ही रहता है, तो इसमें वही होता है कि मेरे जैसी कड़ी इच्छाशक्ति का व्यक्ति भी एक पॉयंट के बाद ठहरी हवा से हारकर जिस तरह देह के सारे कपड़े उतार फेंकता है, उसी तरह मजबूरी में लात मारकर बंद दरवाज़ा खोलने को भी बाध्य हो जाता है.
- डॉक्टर देव (१९४९)-(हिन्दी, गुजराती, मलयालम और अंग्रेज़ी में अनूदित), पिंजर (१९५०)-(हिन्दी, उर्दू, गुजराती, मलयालम, मराठी, अँग्रेज़ी और सर्बोकरोट में अनूदित), आह्लणा (१९५२) (हिन्दी,उर्दू और अंग्रेज़ी में अनूदित), आशू (१९५८)-हिन्दी और उर्दू में अनूदित, इक सिनोही (१९५९)हिन्दी और उर्दू में अनूदित, बुलावा (१९६०) हिन्दी और उर्दू में अनूदित, बंद दरवाज़ा (१९६१) हिन्दी, कन्नड़, सिंधी, मराठी और उर्दू में अनूदित, रंग दा पत्ता(१९६३) हिन्दी और उर्दू में अनूदित, इक सी अनीता (१९६४)
- मैं कहूंगा किस झोंक में उड़ी आती हो, अनजाने शहर की तंग गली का आख़ि री बंद दरवाज़ा हूं, गरदन के रोओं और चमकते बालों पर रहम करो लौट जाओ, तुम कहोगी बरसाती अंधेरिया रात में फटे पाल की नाव होगी तो क् या गरीब की कहानी न होगी, सफ़र को रवानी? आह का इक रस् ता होगा और हल् के नाज़ुक चिड़ि या की आंखों की चमक, थरथराती उड़ान होगी अर्थहीन ठहरा हुआ विराम क् यों होगा, न होगा.