भट्टनायक वाक्य
उच्चारण: [ bhettenaayek ]
उदाहरण वाक्य
- इस अंक में आचार्य भट्टनायक द्वारा प्रतिपादित भुक्तिवाद और आचार्य अभिनवगुप्त के अभिव्यक्तिवाद पर चर्चा की जाएगी।
- भट्टनायक के उपरोक्त सिध्दांत मम्मट और अभिनवगुप्त की रचनाओं के आधार पर प्रस्तुत किये गये हैं)
- आचार्य भट्टनायक-आचार्य परशुराम राय आचार्य भट्टनायक मूलतः मीमांसक हैं और इनका काल दसवीं शताब्दी माना जाता है।
- उन्होंने अपने ग्रंथ ‘व्यक्तिविवेक ' में आचार्य भट्टनायक कृत ‘हृदयदर्पण' के अनुपलब्ध होने के दर्द का उल्लेख किया है।
- आचार्य भट्टलोल्लट, आचार्य भट्टनायक एवं आचार्य अभिनवगुप्त ने रस निष्पत्ति की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया है।
- आचार्य भट्टनायक ने अपने सिद्धान्त भुक्तिवाद की स्थापना हेतु शब्दों के अभिधा और लक्षणा शक्ति व्यापारों के अतिरिक्त “
- यहाँ ध्यातव्य है कि आचार्य भट्टनायक ने अपने सिद्धान्त की स्थापना करने के लिए अन्य सिद्धान्तों का खण्डन किया है।
- पौरस्त्य आचार्यों में वे भट्टनायक और अभिनवगुप्त से विशेष प्रभावित हैं और पाश्चात्य आलोचकों में क्रोचे और आई. ए. रिचर्डस से।
- दूसरे शब्दों में आचार्य भट्टनायक के अनुसार ‘ भावकत्व ' शक्ति से काव्यार्थ या रस का साधारणीकरण हो जाता है और
- आचार्य भट्टनायक के शब्द-निहित दो व्यापारों-भावकत्व औपर भोजकत्व को केवल काल्पनिक मानते हुए उनकी प्रामाणिकता पर प्रश्नचिह्न लगाया है।