भुवर्लोक वाक्य
उच्चारण: [ bhuverlok ]
उदाहरण वाक्य
- पितृ लोक और प्रेत लोक भुवर्लोक के हिस्से हैं और भू-लोक का प्रभाव इन तक पहुँचता है।
- भुवर्लोक → · सूर्य मण्डल · चंद्र मण्डल · नक्षत्र मण्डल · बुद्ध मण्डल · शुक्र मण्डल · मंगल मण्डल ·
- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपलोक तथा सत्यलोक-ये सात लोक क्रमश: एक के ऊपर एक स्थित हैं।
- ॐकार की तीन मात्राओं से तीनो लोक (अकार भूलोक, उकार भुवर्लोक और मकार स्वर्लोक कहलाता है), तीन अग्नि, ब्रम्हा विष्णु व महेश, आदि का बोध होता है.
- राजा बलि ने इसे तुच्छ याचना समझकर तीन पग भूमि का संकल्प मुझको दे दिया और मैंने अपने त्रिविक्रम रूप को बढ़ाकर यहाँ तक कि भूलोक में पद, भुवर्लोक में जंघा, स्वर्गलोक में कमर, मह:लोक में पेट, जनलोक में हृदय, यमलोक में कंठ की स्थापना कर सत्यलोक में मुख, उसके ऊपर मस्तक स्थापित किया।
- राजा बलि ने इसे तुच्छ याचना समझकर तीन पग भूमि का संकल्प मुझको दे दिया और मैंने अपने त्रिविक्रम रूप को बढ़ाकर यहाँ तक कि भूलोक में पद, भुवर्लोक में जंघा, स्वर्गलोक में कमर, मह:लोक में पेट, जनलोक में हृदय, यमलोक में कंठ की स्थापना कर सत्यलोक में मुख, उसके ऊपर मस्तक स्थापित किया।
- यंत्र का बिंदुचक्र सत्यलोक, त्रिकोण तपोलोक, अष्टकोण जनलोक, अंतर्दशार महर्लोक, बहिर्दशार स्वर्लोक, चतुर्दशार भुवर्लोक, प्रथम वृत्त भूलोक, अष्टदल कमल अतल, अष्टदल कमल का बाह्य वृŸा वितल, षोडशदल कमल सुतल, वृŸात्रय या त्रिवृŸा तलातल, प्रथम रेखा भूपुर महातल, द्वितीय रेखा भूपुर रसातल और तृतीय रेखा भूपुर पाताल है।
- मरीचि, अन्तरिक्ष लोक सूर्य, चन्द्र, तारागण (भुवर्लोक) 3. मर: पृथ्वी लोक (मृत्य लोक) 4 जल: पाताल लोक (आप:)-ऐतेरेंयक उपनिषद् परमात्मा का प्रवेश: मनुष्य शरीर की सीमा (मूर्धा) को अर्थात ब्रह्म रंध्र को चीरकर इसके द्वारा उस सजीव मनुष्य शरीर में प्रविष्ट हो गए.
- हे परमपिता!!! इस श्रृष्टि में सात लोक हैं (भूलोक, भुवर्लोक, स्वर्गलोक, सत्यलोक, महर्लोक, जनलोक, एवं तपलोक) | इनका सृजन भला सृजक (आपके) के बिना कैसे संभव हो सका? ये किस प्रकार से और किस साधन से निर्मित हुए? तात्पर्य हे की आप पर संसय का कोइ तर्क भी नहीं हो सकता |
- चौदह-भुवन-परमतत्त्वं (आत्मतत्त्वम्) रूपी शब्द-ब्रह्म रूप परमेश्वर के विराट-शरीर अथवा परमार्थिक-शरीर मुख्य रूप से सर्वप्रथम-एक विराट शरीर ; पुनः दो-व्यावहारिक या पार्थिव शरीर तथा विराट या परमार्थिक-शरीर ; पुनः तीन-पाताल या अधः लोक ; मृत्युलोक और भूवलोक और पुनः चौदह-तल, वितल, सूतल, महातल, तलातल, रसातल और पाताल रूप सात भुवन जो अधः लोक के अन्दर हैं ; भूः, भुवः, स्व, महः नामक चार भुवन मृत्युलोक में और जनः तपः और सत्य-लोक नामक तीन भुवन भुवर्लोक के अन्तर्गत आते हैं।