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भैषज्य रत्नावली वाक्य

उच्चारण: [ bhaisejy retnaaveli ]

उदाहरण वाक्य

  1. भैषज्य रत्नावली के अनुसार ये संग्रहणी, अरुचि, शूल, श्वास, खांसी, भगन्दर, वात व्याधियों, क्षय, वमन, पाण्डुरोग, कामला, कुष्ठ, प्रमेह, मंदाग्नि, समस्त उदर रोग, शकर, पथरी, मूत्रकृच्छ तथा धातुक्षीणता आदि व्याधियों को नष्ट करता है।
  2. ' आयुर्वेद सार संग्रह' और 'रसतंत्रसार व सिद्ध प्रयोग संग्रह' नामक ग्रंथों में भैषज्य रत्नावली का समर्थन करते हुए अनुभूत प्रयोगों के आधार पर इसके और भी उपयोग एवं लाभ बताए गए हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।
  3. ** भैषज्य रत्नावली के अनुसार निर्गुंडी रसायन शरीर का कायाकल्प करने में सक्षम है यह लम्बे समय तक मनुष्य को जवान बनाए रखता है, इसे बनने में पूरे एक माह लगते हैं, इसे किसी अनुभवी वैद्य से ही बनवाना चाहि ए.
  4. ग्रन्थ-रचनाकार चरक संहिता-चरक सुश्रुत संहिता-सुश्रुत अष्टांग हृदय-वाग्भट्ट वंगसेन-वंगसेन माधव निदान-मधवाचार्य भाव प्रकाश-भाव मिश्र इन ग्रन्थों के अतिरिक्त वैद्य विनोद, वैद्य मनोत्सव, भैषज्य रत्नावली, वैद्य जीवन आदि अन्य वैद्यकीय ग्रन्थ हैं।
  5. इनके विविध नामो की सूची भैषज्य पार्थक्यम (स्वामी अनन्य वर्धन कृत), दिव्य वसुंधरा, भाव विभावरी, भैषज्य रत्नावली, भावार्थ रत्नाकर, भाव प्रकाश, शारंगधर संहिता, चरक संहिता तथा सुश्रुत उपाख्यानम आदि अनेक ऐसे ही ग्रंथो से प्राप्त किये जा सकते है।
  6. बेल का सबसे अच्छा उपयोग पतले दस्त में है-इसके कच्चे फल के गूदे का चूर्ण बना लीजिये उसी मात्रा में काले तिल का चूर्ण लीजिये, दोनों को बहुत अच्छी तरह से मिलाइए और दस-दस ग्राम सुबह शाम घी मिला कर खा लीजिये.ये बहुत फायदा करेगा,इसका वर्णन भैषज्य रत्नावली में भी है.
  7. इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है. औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा भैषज्य रत्नावली की सहायता से गाजर यह लेख कादम्बिनी के फरवरी २०११ के अंक में प्रकाशित हो चुका है&
  8. 1-अश्वगंधादियोग (सिद्ध योग संग्रह से)-1-1 छोटा चम्मच सुबह शाम दूध से 2-चन्द्रप्रभा वटी (भैषज्य रत्नावली से) 2-2 गोली दूध से चवाचवा कर 3-प्रत्रंगासव 4-4 चम्मच दोनो समय भोजन के बाद दोनो समय पानी मिलाकर 4-नीम के पत्ते डालकर उबाले हुए जल से प्रति दिन योनि को साफ करें जब लाभ हो जाए तो फिर दो दिन में एक बार तथा बाद में भी सप्ताह में एक बार अवश्य ही योनि की सफाई करें।
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