मक्का पर विजय वाक्य
उच्चारण: [ mekkaa per vijey ]
उदाहरण वाक्य
- D 1 यहाँ तक कि 21 वर्ष तक अत्याचार सहते सहते जब अन्त में मक्का पर विजय पा चुके? तो सार्वजनिक क्षमा की घोषणा कर दी ।
- लेकिन आप और आपके अनुयाई इन सब को सहन करते रहे यहाँ तक कि 21 वर्ष तक अत्याचार सहते सहते जब अन्त में मक्का पर विजय पा चुके तो सार्वजनिक क्षमा की घोषणा कर दी।
- पैगम्बर-ए-इस्लाम के शांतिप्रिय होने का उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने लिखा है कि मक्का पर विजय के बाद मोहम्मद साहब ने उन सब लोगों को माफ कर दिया था जिन्होंने उन्हें और उनके साथियों को काफी दु: ख पहुंचाया था।
- मक्का पर विजय के बाद आप पूरे अरब के मालिक थे, लेकिन फिर भी आप मोटे-झोटे वस्त्र पहनते, वस्त्रों और जूतों की मरम्मत स्वयं करते, बकरियाँ दूहते, घर में झाडू़ लगाते, आग जलाते और घर-परिवार का छोटे-से-छोटा काम भी ख़ुद कर लेते।
- मक्का पर विजय के बाद आप पूरे अरब के मालिक थे, लेकिन फिर भी आप मोटे-झोटे वस्त्र पहनते, वस्त्रों और जूतों की मरम्मत स्वयं करते, बकरियाँ दूहते, घर में झाडू़ लगाते, आग जलाते और घर-परिवार का छोटे-से-छोटा काम भी ख़ुद कर लेते।
- मक्का पर विजय के बाद उनको हुक्म दिया गया कि नमाज़ के लिए अज़ान दें और यह काले रंग और मोटे होंठोंवाला नीग्रो गुलाम इस्लामी जगत् के सब से पवित्र और ऐतिहासिक भवन, पवित्र काबा की छत पर अज़ान देने के लिए चढ़ गया।
- मक्का पर विजय के बाद उनको हुक्म दिया गया कि नमाज़ के लिए अज़ान दें और यह काले रंग और मोटे होंठोंवाला नीग्रो गुलाम इस्लामी जगत् के सब से पवित्र और ऐतिहासिक भवन, पवित्र काबा की छत पर अज़ान देने के लिए चढ़ गया।
- मक्का पर विजय के बाद उनको हुक्म दिया गया कि नमाज़ के लिए अज़ान दें और यह काले रंग और मोटे होंठोंवाला नीग्रो गुलाम इस्लामी जगत् के सब से पवित्र और ऐतिहासिक भवन, पवित्र काबा की छत पर अज़ान देने के लिए चढ़ गया।
- “ यह बात एक कारण के आधार पर निकली है अतः वह उसी पर सीमित होगी जो उस तरह की स्थिति वाला होगा, गोया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह फरमाया है कि पुण्य का कार्य नहीं है कि यात्री रोज़ा रखे यदि उसका रोज़ा उसे इस तरह की स्थिति तक पहुँचा देता है, इसका प्रमाण यह है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फत्हे-मक्का (मक्का पर विजय) के साल अपनी यात्रा में रोज़ा से थे।
- ” क़स्र कहते हैं: चार रक्अत वाली नमाज़ों को दो रक्अत करके पढ़ना, तथा मक्का वाले और उनके अलावा अन्य लोग मिना, अरफह और मुज़दलिफा में नमाज़ को क़स्र करके पढ़ेंगे, क्योंकि हज्जतुल वदाअ में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लोगों को नमाज़ पढ़ाते थे और आपके साथ मक्का वाले भी थे और आप ने उन्हें नमाज़ पूरी करने का आदेश नहीं दिया, यदि नमाज़ पूरी पढ़ना उनके ऊपर अनिवार्य होता तो आप उन्हें इसका आदेश देते जिस तरह कि आप ने उन्हें मक्का पर विजय के साल इसका आदेश दिया था।