मरुदेवी वाक्य
उच्चारण: [ merudevi ]
उदाहरण वाक्य
- ऋषभदेव भगवान का जन्म कोड़ा कोड़ी वर्ष पूर्व अयोध्या नगरी में चैत्र कृष्ण नवमी के दिन माता मरुदेवी के गर्भ से हुआ था।
- कार्यक्रम में माता मरुदेवी महिमा मंडल की बाला जैन, किरन जैन, अशोक जैन, डॉ. प्रेमचंद्र जैन आदि ने भी क्षमा की महिमा बखानी।
- कुलकरों की क्रमश: ‘ कुल ' परम्परा के सातवें कुलकर नाभिराज और उनकी पत्नी मरुदेवी से ऋषभ देव का जन्म चैत्र कृष्ण-9 को अयोध्या में हुआ।
- सिद्धाचल तीर्थ की यात्रा कर तीर्थ के शाश्वत स्वरूप को मान्यता प्रदान की, मरुदेवी माता ने पुत्र मोह में आंसू बहाते-बहाते निर्मोह अनित्य भावना से समवशरण के बाहर ही हाथी पर बैठे-बैठे कैवल्यता प्राप्त की।
- उनके माता पिता के नाम नाभि और मरुदेवी पाये जाते हैं, तथा उन्हें स्वयंभू मनु से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम से हुए कहा गया है-स्वयंभू, मनु, प्रियव्रत, अग्नीध्र, नाभि और ऋषभ।
- तृतीय काल के अन्त में जब भोगभूमि की व्यवस्था नष्ट हो चुकी थी और कर्मभूमि की रचना का प्रारम्भ होनेवाला था, उस सन्धि काल में अयोध्या के अन्तिम कुलकर-मनु श्री नाभिराज के घर उनकी पत्नी मरुदेवी से इनका जन्म हुआ।
- (भा. पु. ५, ३, २ ०) ” यज्ञ में परम ऋषियों द्वारा प्रसन्न किए जाने पर, हे विष्णुदत्त, पारीक्षित, स्वयं श्री भगवान् (विष्णु) महाराज नाभि का प्रिय करने के लिए उनके रनिवास में महारानी मरुदेवी के गर्भ में आए।