महाकवि भूषण वाक्य
उच्चारण: [ mhaakevi bhusen ]
उदाहरण वाक्य
- प्रसँगवश यह भी जिक्र कर दूँ कि महाकवि भूषण इस भाषा सौन्दर्य को सँभाल न पाये, और इसी रचना को आगे उन्होंने तत्कालीन भदेश ” ऐल-फैल खैल भैल खलक पै गैल-गैल, गजन कि ठेल पेल सैल उसलत हैं..
- प्रसँगवश यह भी जिक्र कर दूँ कि महाकवि भूषण इस भाषा सौन्दर्य को सँभाल न पाये, और इसी रचना को आगे उन्होंने तत्कालीन भदेश ” ऐल-फैल खैल भैल खलक पै गैल-गैल, गजन कि ठेल पेल सैल उसलत हैं..
- महाकवि चंद वरदाई, महाकवि भूषण, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविन्द सिंह से लेकर १ ९ वीं शताब्दी में राजाराम मोहन रॉय, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविन्द, स्वामी दयानंद तथा २ ० वीं शताब्दी में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, लाला हरदयाल, डॉ. हेडगेवार आदि ने इसी आधार पर देश में नव चेतना जगाई ।
- संन्यासी-विद्रोह (1763-1800) से लेकर कूका-विद्रोह (1857-72) के बीच भारत का कौन-सा हिस्सा है, जहाँ खून की नदियाँ नहीं बहीं? अटक से कटक तक, केरल से कश्मीर तक और पेशावर से काबुल तक अंग्रेज़ों के विरुद्घ गाँव-गाँव में बारूद का ढेर लग गया था | अंगे्रज के विरुद्घ बगावत की बत्ती 10 मई के बहुत पहले से सुलग रही थी | इसका प्रमाण महाकवि भूषण की ये पंक्तियाँ हैं-