माधो सिंह भंडारी वाक्य
उच्चारण: [ maadho sinh bhendaari ]
उदाहरण वाक्य
- सन् 1635 ई. के समय भीमसिंह बत्र्वाल रिखोला लोदी व माधो सिंह भंडारी के साथ तिब्बत में लडने के लिए बुटोला रावत भी सैनिक थे।
- दीपावली के इस पर्व को मंगसीर में मनाने का एक मुख्य कारण यहाँ का आर्थिक क्रियाकलाप एवं माधो सिंह भंडारी की स्मृति भी रही है।
- माधो सिंह भंडारी “मलेथा” माधो सिंह भंडारी जिन्हे माधो सिंह मलेथा भी कहा जाता है का जन्म सन 1595 के आसपास टिहरी जनपद के मलेथा गांव में हुआ था।
- माधो सिंह भंडारी “मलेथा” माधो सिंह भंडारी जिन्हे माधो सिंह मलेथा भी कहा जाता है का जन्म सन 1595 के आसपास टिहरी जनपद के मलेथा गांव में हुआ था।
- गढ़राज्य के सेनापति माधो सिंह भंडारी, जो उस समय तिब्बत में युद्धरत थे, कार्तिक माह की दीपावली को घर न पहुँच कर ठीक एक महीने बाद ही पहुँच पाये।
- उसी समय से उजाड़ खेतों में प्रचुर पैदावार होती है तथा आज जुलाई के निश्चित धान रोपाई के समय परंपरागत संगीतकार लोगों के साथ खेतों तक जाकर खेत जोतने या रोपाई से पहले माधो सिंह भंडारी के प्रशंसागीत गाते हैं।
- इस बीच राज्य के कैबिनेट मंत्री मातवर सिंह कंडारी ने त्यूनी-प्लासू बांध परियोजना की डीपीआर का विमोचन तथा बांध् का उदघाटन करते हुये इस बांध की सुरंग बनाने वाले इंजीनियर को माधो सिंह भंडारी पुरस्कार से नवाजने की घोषणा कर दी।
- बुजुर्गो के अनुसार मलेथा गांव में एक समय में सिंचाई का कोई विकल्प न होने पर यहां पर माधो सिंह भंडारी ने छेंडाधार के पहाड़ पर सुरंग गूल बनाकर चन्द्रभागा नदी से मलेथा के खेतों में पानी लाने की व्यवस्था सोची।
- तब से उस बंजर भूमि ने हमेशा प्रचुर फसल दी है, और आज के समय में भी जुलाई में धान-रोपण के निर्धारित दिन पारम्परिक संगीतज्ञ लोगों के साथ खेतों पर जाते हैं और पहली जुताई/रोपण के पहले माधो सिंह भंडारी का स्तुतिगान करते हैं।
- माधो सिंह भंडारी का जनम १ ५ ९ ५ के आसपास टिहरी जनपद के मलेथा ग्राम में हुवा था! इनके पिता लखनपुर के निवासी वीर सोंनवाण कालो भंडारी थे! तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने इनकी बुद्धिमता व वीरता से प्रभावित होकर एक विस्त्रृत क्षेत्र जागीर के रूप में इन्हें भेट की थी!